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________________ शिक्षाप्रद कहानियां 15 इसके बाद कस्तूरी अन्दर गई और उसने देखा कि उसका बालक तो आराम से चैन की नींद ले रहा है। लेकिन उसके पास मृत साँप के टुकड़े पड़े हुए हैं। यह सब देखकर अब उसे यह समझने में भी देर नहीं लगी कि जरूर घर में साँप आया था और वह मेरे बालक को खाना चाहता था तथा नेवले ने साँप से मेरे बालक की रक्षा की है। अब वह रोने-चिल्लाने लगी और कहने लगी, हे! भगवान् ये मैंने क्या कर दिया? अपने पुत्र के रक्षक । पुत्र समान नेवले को ही मार दिया। हे! राम नी अब मैं क्या करूँ? लेकिन अब वह कर भी क्या सकती थी ? इसीलिए कहा जाता है कि- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। इस कहानी से हमें वैसे तो कई शिक्षाएं मिलती हैं, लेकिन दो मुख्य शिक्षाएं मिलती हैं 1. कोई भी कार्य सोच-समझकर करना चाहिए। 2. हमें अपने कर्तव्य को समझना चाहिए। ९. स्वर्ग और नरक बहुत समय पहले की बात है। दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में एक प्रसिद्ध सन्त रहते थे। संयोगवश एक बार उनके पास राजा का एक सैनिक आया और उनसे पूछने लगा 'आचार्य ! सारी दुनिया में स्वर्ग और नरक की चर्चा होती रहती है, क्या ये होते भी हैं या नहीं?' आचार्य ने ध्यानपूर्वक उसको ऊपर से नीचे तक देखा और पूछा, “तुम काम क्या करते हो?" उसने उत्तर दिया- “जी, मैं राजा का सैनिक हूँ और देश की रक्षा करता हूँ।" आचार्य ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा, 'क्या कहा तुमने, तुम सैनिक हो? लेकिन शक्ल से तो तुम कोई भिखमंगे दिखाई देते हो ! तुम्हें
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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