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________________ 8 शिक्षाप्रद कहानिया इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि- लोभ ही सभी समस्याओं का मूल है, इसी के कारण हम करणीय- अकरणीय सब कुछ कर जाते हैं चाहे वह प्रकृति के विपरीत ही क्यों न हो? अतः हमें लोभ नहीं करना चाहिए। कहा भी जाता है कि- लोभ पाप का बाप है। ५. किसी का बुरा करना अज्ञानता है महाराष्ट्र के एक बहुत बड़े व्यापारी थे। पशुओं का व्यापार करते थे। पशुओं को खरीदते भी थे और बेचते भी थे। एक बार वे पशुओं का व्यापार करने किसी दूसरे प्रदेश में गए। जहाँ पशुओं का मेला लगा हुआ था। भाग्यवशात् वहाँ पर उनको पशुओं को बेचने पर बहुत अच्छा मुनाफा (लाभ) हुआ। उन्होंने मुनाफे से मिले रूपयों में से आधे रूपयों से बहुत ही अच्छा अरबी घोड़ा खरीदा और आधे रूपए सम्भालकर अपनी पतलुन की जेब में रख लिये। और अपने घर की ओर प्रस्थान कर गये। रास्ते में बारिश शुरू हो गई, वह भीगने लगा। उसके सारे वस्त्र गीले हो गए। वह सर्दी से ठिठुरने लगा। मन ही मन वह बादलों को कहने लगा- हे बादलों रुक जाओ, लेकिन बादल और भी तेजी से बरसने लगे। वे कहाँ उसकी सुनने वाले थे। इस सबसे व्यापारी को बहुत कष्ट हुआ। अब वह बादलों का और तो कुछ बिगाड़ नहीं सकता था, लेकिन मन ही मन उनको कोसने लगा और गालियाँ बकने लगा। बादलों पर भला इस सबका क्या असर होना था, वे तो निरन्तर बरसते रहे। लेकिन उसी क्षण वहाँ एक घटना घटी। अचानक एक पास की झाड़ी से बड़ी जोर की आवाज आई'ठहर जाओ' जो भी धन-दौलत तुम्हारे पास है वह मुझे दे दो, वरना गोली मार दूंगा। स्पष्ट था कि अवश्य ही यह कोई चोर-लुटेरा था। अब व्यापारी की तो सिट्टी-पिट्टी गुम। लुटेरे ने कई बार व्यापारी को रूपये
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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