SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शिक्षाप्रद कहानिया 147 मेहनत करना ताकि खाना अच्छा लगे। अब उनके समझ में सही बात आई और उन्होंने वैसा ही किया। कुछ दिन बाद ही वे खुशहाल हो गए। इस कहानी से यह सिद्ध होता है कि मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत अधिक महत्त्व है। मनुष्य जीवन अत्यन्त संघर्षमय है। जीवन में पग-पग पर विपरीत परिस्थितियों से जूझना पड़ता है, और इसमें उन्हीं व्यक्तियों को सफलता मिलती है जो परिश्रम करते हैं अथवा जिनके जीवन में पुरुषार्थ या परिश्रम होता है। पुरुषार्थ या परिश्रम के द्वारा मनुष्य उन साधनों को अपने पास एकत्रित कर लेता है, जो उसे उन परिस्थितियों से जूझने में अत्यधिक सहायता प्रदान करते हैं। परिश्रम एक ऐसी साधना है, जिसके माध्यम से मनुष्य महान्-से-महान् कार्य कर सकता है। परिश्रमी मनुष्य के सामने ऐसा कोई काम नहीं जिसे वह न कर सके। जिस मनुष्य में परिश्रम रूपी गुण विद्यमान होता है, वह अपने जीवन में कभी भी दुःख और निराशा से भयभीत नहीं होता। वह दु:ख और निराशा के क्षणों में वीर की भाँति आगे बढ़ता है और गहन अंधकार में भी अपना प्रशस्त पथ खोज लेता है। इसी श्रम (परिश्रम) की महत्ता के कारण ही भारत भूमि पर एक दर्शन का प्रादुर्भाव श्रमणदर्शन के रूप में ही हुआ है। यह दर्शन श्रम/परिश्रम (तप) पर बहुत बल देता है। जीवन में परिश्रम से अनेक लाभ होते हैं। मनुष्य चाहे किसी भी क्षेत्र में कार्य करता हो, बिना परिश्रम के उसे सफलता प्राप्त नहीं हो सकती। उद्योग और परिश्रम का महत्त्व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में स्पष्ट दिखाई पड़ता है। उदाहरण के लिए विद्यार्थी जीवन को ही देखिए यदि उस समय विद्यार्थी दिन-रात परिश्रम करके विद्याध्ययन न करे, तो वह कभी भी अपनी परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण नहीं हो सकता। अतः परीक्षा चाहे जैसी भी हो, पढ़ने की हो अथवा कार्य करने की हो, यदि मनुष्य परिश्रम न करे तो वह अपने कार्य में कभी सफल नहीं हो सकता। संस्कृत भाषा में एक प्रसिद्ध सुभाषित है कि
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy