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________________ 144 __शिक्षाप्रद कहानिया यह बकरा कोई और नहीं अपितु हमारा मन ही है। इस पर जितना अंकुश करोगे वह उतना ही सुधरेगा। ६३. सबसे शीतल क्या है? प्राचीन काल की बात है। अयोध्या नगरी में राजदरबार लगा हुआ था। राजगुरु ने सभी से एक प्रश्न पूछा कि- इस संसार में सबसे शीतल वस्तु क्या है? सबसे पहले एक किसान बोला- हे राजगुरु, इस संसार में सबसे शीतल वटवृक्ष की छाया है। मैं हर रोज दोपहर की भीषण गर्मी में उसकी घनी छाया में बैठकर भोजन ग्रहण करता हूँ। उस समय मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि- दुनिया में इससे शीलत कोई वस्तु नहीं है। इसके बाद वहाँ उपस्थित एक ब्राह्मण बोला- गुरुजन! इस संसार में सबसे शीतल गंगा का जल है। मैं रोज उसमें स्नान करता हूँ मुझे महान् शीतलता का अनुभव होता है। इसके बाद राजा ने कहा- गुरुजन! मैं भी कुछ निवेदन करना चाहता हूँ। और मेरा यह मानना है कि इस संसार में सबसे शीतल शरदपूर्णिमा का चन्द्रमा होता है, क्योंकि उस रात्रि में जब मैं रानी के साथ राजमहल की छत पर आराम करता हूँ तो मुझे इस संसार में उससे शीतल कोई वस्तु नहीं दिखती। इसके बाद रानी बोली- हे! गुरुवर मैं भी कुछ कहना चाहती हूँ और मेरा कहना ये है कि इस संसार में अगर कोई शीतल वस्तु है तो वह है- बसेरे के मोतियों से बना हुआ हार। जिसको पहनते ही जुखाम होने लगता है। अतः मेरी दृष्टि में तो यही सबसे शीतल होता है। इस प्रकार और भी बहुत से लोगों ने अपनी-अपनी दृष्टि से शीतल वस्तुओं के बारे में बतलाया। उसी समय वहाँ पर एक व्यापारी उपस्थित हुआ और वह बोला- गुरुवर मैं भी कुछ निवेदन करना चाहता
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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