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________________ 134 शिक्षाप्रद कहानिया यह सुनकर सेठ ने उसे पाँच हजार रूपयों के फुटकर सिक्के दे दिए। जिनसे एक बोरी भर गई। और मोटेराम ने बोरी को अपने कंधों पर लाद लिया। वह कुछ ही दूर चला था कि उसने देखा सामने एक घुड़सवार जा रहा है। उसे रोककर मोटेराम बोला- 'तू घोड़े पर सवार। बोरा मुझ पर सवार। ले-ले बोरा, दे दे घोड़ा।' अन्धा क्या चाहे, दो आँखें। उसने तुरन्त सौदा मंजूर किया और ले लिया सिक्कों से भरा बोरा और दे दिया अड़ियल घोड़ा। मोटेराम क्या जाने अड़ियल घोड़े की सवारी। वह जैसे ही घोड़े पर चढ़ा और घोड़ा ऐसी (STYLE) से फूदका कि मोटेराम महाशय गिर पड़े नीचे। अब मोटेराम घोड़े की नकेल पकड़कर पैदल-पैदल उसके साथ चलने लगा। अभी वह कुछ ही दूर गया था कि उसने देखा कि सामने से एक ग्वाला गाय लेकर आ रहा था। मोटेराम ने ग्वाले को रोका और कहने लगा- 'घोड़ा अटक-अटक। मुझको देता है पटक-पटक। ले लो घोड़ा हाय। मुझको दे दो गाय।' ग्वाले ने भी मौके का फायदा उठाया और अपनी गुस्सैल गाय दे दी और घोड़ा ले लिया। __ अब चलते-चलते शाम हो गयी तो मोटेराम ने सोचा- क्यों न गाय का दूध दुह लिया जाय। भूख भी लगी है, दूध पी कर उसे भी शांत कर लिया जाए। अतः उसने पास ही एक वृक्ष से गाय को बाँध दिया। और कही से एक बाल्टी भी माँग लाया और लगा गाय को दुहने। लेकिन जैसे ही वह गाय को दुहने के लिए बैठा कि गाय ने ऐसी लात मारी कि मोटेराम दस फुट दूर जा गिरा। उसी समय संयोगवश एक बकरी वाला वहाँ से गुजर रहा था। मोटेराम ने उसे रोक कर कहा- 'तुम मेरी गाय ले लो और अपनी बकरी मुझे दे दो।' बकरीवाले ने तुरन्त उसे बकरी दे दी और बदले में गाय ले ली। मोटेराम ने बकरी को खूब घास-पत्ते खिलाए। लेकिन, उसका पेट था की कुंआ। वह भरने का नाम ही नहीं ले रहा था। तभी वहाँ एक
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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