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________________ शिक्षाप्रद कहानियां एक दिन घूमते-घूमते वह सेठ एक प्रसिद्ध ज्योतिषी के पास पहुँच गया। और कहने लगा- हे स्वामी! आप तो अन्तर्यामी हैं । सब कुछ जानते हैं। अतः मुझे कोई ऐसा उपाय बताएँ जिससे मेरा घर सोने-चाँदी, हीरे-मोती-पन्ने इत्यादि से भर जाए। और मैं इस विश्व का सबसे बड़ा धनी व्यक्ति बन जाऊँ । 122 यह सुनकर ज्योतिषी बोला- देखो सेठ जी ! धन की देवी तो लक्ष्मी है। यह सारा डिपार्टमेंट ( विभाग ) उन्हीं का है। अगर तुम जप-तपस्या करके उनको प्रसन्न कर लो तो वे अवश्य ही तुम्हारी मनोकामना पूरी कर सकती हैं। बस, फिर क्या था, सेठ जी तो लग गये उसी क्षण से जप-तप करने। और उसने प्रचण्ड जप-तप करके कर लिया प्रसन्न लक्ष्मी जी को। और वे तुरन्त प्रकट भी हो गईं बिना विलम्ब के। लक्ष्मी बोली- हे सेठ ! मैं तेरे पूजा-पाठ और जप-तप से अतीव प्रसन्न हूँ बता तेरी क्या इच्छा है, क्योंकि बिना किसी इच्छा के तो कोई शायद ही मुझे याद करता हो। अत: तू तो बेझिझक होकर वरदान माँग । यह सुनकर धनदास बोला - हे देवी, यदि आप हकीकत में ही मुझ पर प्रसन्न हैं तो कृपया आप मेरा घर सोने-चाँदी, हीरे-जवाहरात आदि से भर दीजिए । यह सुनकर लक्ष्मी बोली- ठीक है, मैं तेरा घर तो उक्त सभी कीमती वस्तुओं से भर दूँगी । लेकिन, मेरी एक शर्त है कि जब तुम्हारा घर इन सब चीजों से भरेगा तो अन्य लोगों का भी घर इन वस्तुओं से भर जाएगा। यह सुनकर धनदास सोचने लगा- कहीं ऐसा तो नहीं हो जाएगा कि अन्य लोगों के घर अधिक सम्पति हो जाए। लेकिन, तभी उसे ख्याल आया कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता। इसका एक कारण तो यह है कि मेरे पास पहले से ही अथाह धन-दौलत है और दूसरा यह कि लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना मैंने की है। अतः लक्ष्मी उनको बिना कुछ
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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