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________________ 120 __ शिक्षाप्रद कहानिया सुअर ने खेत खोदा, चिड़िया बीज लाई। बकरी ने खाद दी, और मोर ने पानी बरसवाया। और यही नहीं, पुण्योदय से तरबूज की बेल इतनी फैली की सारे खेत में छा गई। उसमें एसे मीठे व रसीले तरबूज लगे कि एक-एक तरबूज पाँच-पाँच रूपये में बिकने लगा। और देखते ही देखते कुछ दिनों में सारे तरबूज बिक गए। उसकी कमाई से किसान की पत्नी का घर भर गया। यह सब देखकर गाँव वाले कहने लगे कि- 'यह बेल नहीं फली इसका परोपकार फला है। अब किसान की पत्नी अत्यन्त प्रसन्न थी। उसकी प्रसन्नता के चार मुख्य कारण थे। सबसे पहला प्रसन्नता का कारण तो यह था कि उसने अपने पति की इच्छा को पूरा किया था। दूसरा कारण यह था किदु:ख के बाद सुख मिलने से और गरीबी के बाद धन मिलने से कौन प्रसन्न नहीं होता। अतः दूसरा कारण धन था। तीसरा कारण था कि उसने किसी बुरे तरीके से धन नहीं कमाया था, अपितु कई प्राणियों का भला करके यह वरदान पाया था। और चौथा कारण यह था कि उसकी परोपकारी भावना को देखकर गाँव के लोगों को परोपकार करने की प्रेरणा मिली थी। उसके समक्ष गाँव के अनेक लोगों ने प्रतिज्ञा की कि वे भी अपने जीवन में जितना भी अधिक से अधिक हो सकेगा, उतना परोपकार करेंगे। इस कहानी से हम सबको भी यह शिक्षा लेनी चाहिए कि जीवन में अधिक से अधिक परोपकार करना चाहिए। और चिन्तन किया जाए तो यह स्पष्ट ज्ञात होता है कि यह सृष्टि परोपकार पर ही चल रही है। हम सब यह कहे कि प्राणिमात्र एक-दूसरे पर परोपकार ही तो करते हैं। इसीलिए कहा भी जाता है कि परस्परोपग्रहो जीवानाम्। रविश्चन्द्रो घनवृक्षाः, नदी गावश्च सज्जनाः। एते परोपकाराय, समुत्पन्नाः स्वयम्भुवि॥
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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