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________________ शिक्षाप्रद कहानिया 117 यह देखकर उसने फिर अपने-आप से कहा कि- मैं अवश्य ही इन रूपयों को नेक काम में लगाउँगी। इसके बाद किसान की पत्नी ने देखा कि- घर में कम से कम एक साल के लिए भोजन की कोई कमी नहीं है। पर्याप्त मात्रा में गेहूँ, चावल, नमक, हल्दी आदि रखे हुए हैं उसने सोचा- 'अगर मै अभी से खेत बोने की तैयारी करूँ तो अगले वर्ष तक मेरी फसल तैयार हो जाएगी। और तब तक के लिए मेरे पास खाने की कोई कमी नहीं है। लेकिन एक समस्या थी कि खेत को खोदे कौन? बाकी काम तो वह कर लेगी। वह यही सोच रही थी। तभी उसने सुना कि बाहर कुछ शोर मच रहा है। वह घर से बाहर आयी और देखा कि- एक सुअर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहा है। और कुछ लोग उसे पकड़ने के लिए उसके आगे-पीछे दौड़ रहे हैं। किसान की पत्नी ने उन लोगों से पूछा- 'तुम इसे पकड़कर क्या करोगे?' वे बोले- इसे पकड़कर हम बेचेंगे। इसका अचार थोड़े ही डालेंगे।' किसान की पत्नी ने मन ही मन सोचा- किसी की जान बचाने से अच्छा काम और क्या हो सकता है? ऐसा सोचकर उसने उन्हें पचास रूपए देकर सूअर को खरीद लिया। ___ यह देखकर लोग उसका मजाक उड़ाने लगे कि देखो कितनी पागल है, भला यह सूअर का क्या करेगी? लेकिन, उसने कोई जबाब नहीं दिया। चुपचाप अपने घर के अन्दर चली गयी। अगले दिन किसान की पत्नी ने देखा कि एक चिड़िया बार-बार उड़ने का प्रयास कर रही है लेकिन उड़ नहीं पा रही है। तभी अचानक वहाँ एक बहेलिया आ गया और चिड़िया पर गुलेल से निशाना लगाने लगा।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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