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________________ शिक्षाप्रद कहानियां 101 ४५. अनुभव जरूरी बहुत पहले की बात है। किसी गाँव में बारह विद्वान् रहते थे। एक दिन वे सभी किसी शास्त्र-सभा में भाग लेने के लिए जंगल के रास्ते से किसी दूसरे गाँव जा रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक नारियल के पेड़ पर पके हुए नारियल लगे हुए हैं। उन्हें देखते ही वे सभी नारियल खाने के लिए लालायित हो गए। बस फिर क्या था? उन्होंने अपने एक साथी को पेड़ पर चढ़ा दिया नारियल तोड़ने के लिए। वह नारियल तोड़-तोड़कर लगा नीचे गिराने। संयोगवश जहाँ वह नारियल गिरा रहा था, उस जगह पर घास में दो साँप बैठे थे। जैसे ही नारियल गिरने लगे वे दोनों अपनी जान बचाने के लिए घास में से निकलकर नारियल के पेड़ पर चढ़ने लगे। ऊपर चढ़े हुए विद्वान् ने जब यह देखा तो वह चिल्लाया- साँप-साँप! इन्हें मारो।' वरना ऊपर चढ़कर ये मुझे डस लेंगे। नीचे खेड़े विद्वान् साथी दूर हट गए और वहीं से पत्थर मारने लगे, लेकिन अधिक दूरी होने के कारण एक भी पत्थर साँपों को नहीं लगा। यह देखकर ऊपर वाला विद्वान् फिर चिल्लाया- अरे! तुम सब नजदीक आकर क्यों नहीं इन्हें मारते? और अगर तुम इनसे डरते हो तो शीघ्र ही कोई अन्य उपाय करो। जिससे कि मेरे प्राणों की रक्षा हो। नीचे खड़े सभी विद्वान् देखने लगे एक-दूसरे की ओर। कुछ देर तक सोचने के बाद जब उन्हें कुछ भी नहीं सूझा कि क्या करें? तो लगे सभी अपनी विद्वता का प्रदर्शन करने। और ऊपर चढ़े हुए साथी को उपदेश देने लगे। पहला बोला- देखो, तुम रोओ मत। मुसीबत में धैर्य धारण करना चाहिए। दूसरा बोला- इस समय तुम भगवान् से प्रार्थना करो। वे बड़े ही दयालु हैं, वे सभी की रक्षा करते हैं। तुम्हारी भी अवश्य करेंगे।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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