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________________ स्वयंबुद्ध ने जीव अजीव आदि तत्वों का समर्थन किया स्वर्ग मोक्ष आदि पर लोक का अस्तित्व सिद्ध कर दिखलाया। जो बातें आगम में लिखी हैं वे गलत नही हो सकती। इसी समय स्वयंबुद्ध ने पाप एवं धर्म का फल बतलाते हुए राजा महाबल को लक्ष्य कर चार कथाएं कही जो इस प्रकार है। कुछ समय पहले आपके निर्मलवंश में अरविन्द नाम के एक राजा हो गये हैं। उनकी रानी का नाम विजयादेवी था। उनके दो पुत्र थे हरिचन्द और करूविन्द। दोनो पुत्र बहुत विद्वान थे। राजा अरविन्द दीर्घ संसारी जीव थे इसलिए उनका चित्त सतत पाप कर्मों में लगा रहता था। इसी के फल स्वरूप वे नरक आयु का बंध कर चुके थे। आयु के अंत में राजा अरविन्द को दाह ज्वर हो गया। अब तो बहुत दु:खी हो गया बहुत चिकित्सा की व्याकुलता बढ़ गई। क्या करूं पर कोई लाभ कुछ सूझता नहीं। नही। उन्होंने उत्तर कुरू क्षेत्र के सुहावने बाग में घूमना चाहा, पाप के उदय से उनकी समस्त विद्यायें नष्ट हो गयी थी। उन्हें विवश हो कर रुक जाना पड़ा। बड़े पुत्र हरिचन्द ने अपनी विद्या से उन्हें उत्तर कुरू भेजना चाहा। मेरा दुर्भाग्य बेटा! तुम्हारी विद्या भी सफल नही हुई। एक दिन की घटना है दीवाल पर दो छिपकली लड़ रही थी। लड़ते-लड़ते एक की पूंछ टूट गई, जिसमें खून की दो चार बूंदे अरविन्द के शरीर पर पड़ी। खून की बुंदों के पड़ते ही उन्हे कुछ शान्ति मालूम हुई, इसलिए उन्होंने समझा कि यदि वे खून की बावड़ी में नहायेंगे तो उनका रोग दूर हो सकता है। यह विचार कर लघु पुत्र कुरूविन्द से खून की बावड़ी बनवाने के लिए कहा। वह पिता का आज्ञाकारी था, उससे अधिक धर्मात्मा था। उसने बावड़ी बनवाई पर उसे लाख के रंग से भरवादी। खून की बावड़ी देखकर राजा बहुत खुश हुए। नहाने के लिए उसमें प्रवेश किया। ज्योंही कुल्ला किया त्यों ही पता चला ये तो लाख का रंग है। इस कार्य पर राजा को इतना क्रोध आया कि वे तलवार लेकर कुरूविन्द को मारने के लिए दौड़े, पर बीमारी के कारण अधिक नहीं दौड़ सके एवं बीच में ही अपनी तलवार की धार पर गिर पड़े। फलस्वरूप उनका उदर विदीर्ण हो गया वे मरकर नरक गति में पहुंचे। सच है मरते समय जैसे भाव होते हैं वेसी ही गति होती है। अरे पिताजी! AAN राजा अरविन्द हताश होकर शैया पर पड़े रहे। जैन चित्रकथा
SR No.033221
Book TitleChoubis Tirthankar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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