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________________ यह सूकर पूर्व भव मे विजयनगर के राज दम्पत्ति का हरिवाहन नामक पुत्र || यह बंदर पहले भव में वेश्य दम्पत्ति नागदत्त नामक पुत्र था। किसी समय था। वह बहुत अभिमानी था। वह अपने सामने किसी को कुछ नहीं | इसकी माँ ने छोटी कन्या के विवाह के लिए दुकान से कुछ धन ले लिया। समझता था। यहां तक की पिता एवं गुरूजनों तक की आज्ञा नहीं मानता था। एक दिन इसके पिता ने इसे कुछ आज्ञा दी जिससे कुध होकर इसने |जिसे यह देना नही चाहता था। इसने माँ से धन वापस लेने के अनेक उपाय पत्थर के खम्भे से सिर फोड़ लिया मरकर सूकर हुआ। किये। निष्फल रहा, इस दुख से मरकर बंदर हुआ। peline Ema यह नेवला पहले भव में सुप्रतिष्ठित नगर में आपने जो मुझे आहार दिया है, उसका वैभव देखने से इन सब को अपने पूर्वभव का स्मरण हो आया। कादम्बिक नाम का पुरूष था। वहां के राजा ने इसे | ये पश्चाताप कर रहे हैं। पात्रदान की अनुमोदना से इनका पुण्य संचय हुआ है। ये सब आठभवों तक मंदिर बनवाने के काम में लगा रखा था। वह ईट वाले आपके साथ स्वर्ग एवं मनुष्यों के सुख भोग कर संसार बंधन से मुक्त हो जायेंगे। साथ ही इस श्रीमती का लोगों को धन देकर बहुत सी ईंटें अपने घर डलवाता जीव आपके तीर्थ में दानतीर्थ के चलाने वाला श्रेयांसकुमार होगा तथा उसी पर्याय से मोक्ष प्राप्त करेगी। था। कादम्बिक को एक दिन अपनी कन्या के ससुराल जान पड़ा। अपने पुत्र को मंदिर के काम पर लगा गया था। पुत्र ने उसका बताया पाप काम नहीं किया। उसने बेटे को बहुत पीटा। क्रोध में आकर अपने पांव भी काट लिए राजा को पता चला तो उसकी बहुत पिटाई हुई, वह मरकर नेवला हुआ। (VVM ...दोनो राजदम्पति मुनिराज को नमस्कार कर अपने नगर को चले आये। मुनियुगल भी अनन्त आकाश में विहार कर गये। . चौबीस तीर्थंकर भाग-1
SR No.033221
Book TitleChoubis Tirthankar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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