SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन चित्र कथा कुछ समय राजकुमारी पद्मा के साथ बिताने के बाद जीवंधर स्वामी यात्रा करते हुए पल्लव देश में स्थित जीवधर कुमार वहां से चल दिए, किंतु किसी को चित्रकुट पर्वत पर स्थित साधुओं के मठ में पहुंचे जहांवे बताया नहीं लोकपाल ने उन्हें खोजने के लिएदूत भेजे। यचाग्नि ताय रहे थे। युवराज!हमने बहुत खोजा, दूर-दूर तक जाकर देखा,किंतु कुमार का कुछ भी पता न चला। HaANAA QAAQ हे तपस्वियों। जिसमें जीवों को क्लेशन हो वहीसच्चातप है। सम्यकज्ञान,सम्यकदर्शन और सम्यकचरित्र-तीनों ही साक्षात मुक्ति के उपाय हैं। हे स्वामी । आप जो भी हो। आपने जो ज्ञान हमें दिया है, उसे ग्रहण करके हम धन्य हो गए। हम आज से जिनधर्म स्वीकार करते हैं। इसके बाद जीवंधर कुमार दक्षिण की ओर गए, जहां एक जिनालय के कपाट बन्द थे। जीवधर कुमार नेवहीं खड़े होकर स्तुति की तो वे कपाट अपने आप खुल गए। AVAY THUL 112
SR No.033207
Book TitleJeevandhar Swami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Shastri
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year2000
Total Pages40
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size46 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy