SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जीवंधर स्वामी जीवधर कुमार अकेले घूमते हुए एक वन में पहुंचे जहां आग लगी थी और उसके बीच हाथियों का समूह फंसा हुआ था।जीवंधर ने सोचा-दया ही धर्म का मूल है, इसलिए इन्हें बचाना चाहिए। इतना सोचते ही आकाशसे बादल जल वर्षा करने लगे और हाथी बच गए। मैं अब देश भ्रमण के लिए जाना चाहता हूं। 14 OM य आप देश भ्रमण करना चाहते है तो सहर्ष जाइए। मैं आपको यहा से जाने का मार्ग बताता हूं। आगे चलकर जीवंधर कुमार चंद्राभा नगरी में आए। अरे। तुम्हें नहीं मालूम? इसनगरी के राजाधनपति की सुपुत्री पद्मा को सपने काट लिया है। कोई उपचार अपना प्रभाव नहीं दिखा रहा है। MAAL जीवधर कुमार ने जाकर विष नाशक मंत्र से राजकुमारी पद्मा को ठीक कर दिया। हे भद्र। मेरा नाम लोकपाल तुम मुझे हर प्रकार है। मेरी बहन को आपके सेपद्मा के लिए योग्य उपचार से नया जीवन मिला है. वर लगते हो। मैं में आपका सम्मान करता हूं। तुम्हारे साथ उसका विवाह करनाचाहता चलो।मैं उपचार करूंगा। मुझे वहां ले चलो। समाकागामाया और फिर जीवंधर कुमार का विवाह राजकुमारी यया से होगया। 11
SR No.033207
Book TitleJeevandhar Swami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Shastri
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year2000
Total Pages40
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size46 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy