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________________ -85 सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत ओ नवयुग की नई किरण / मानवता के प्रथम चरण / ओ समान के क्रान्तिदूत, - जन-जम करता है अभिनन्दन / / अँधियारी काली रातों में, दीपक जल हरता अंधियारा बुझते-बुझते दे जाता है, जग को सूरज का उजियारा तमने दिया उजाला जग को, जीवन का पाथेय बन गया आदर्शों की राह बताई, सत्य मार्ग ही ध्येय बन गया। राष्ट्र, समाज, धर्म की सेवा में रत था सारा जीवन // ज्ञान तुम्हारा ऐसा, जिससे लज्जित सागर की गहराई गौरव इतना ऊंचा नतमस्तक थी हिमगिरि की ऊंचाई लघु काया में थे विराट तुम, एक बिन्दु में सिन्धु प्रबल ओ जिनवाणी के व्याख्याता, तात्विक रचनाकार सबल / धरती पर अवतरण तुम्हारा, नवयुग का मंगलाचरण // मानो पीड़ित समाज का युग का सपना साकार हुआ महावीर की कल्याणी वाणी का फिर अवतार हुआ बाडम्बर के खंडहर पर कर पदप्रहार कर दिया ध्वस्त सामाजिक कुरीति के ताने वाने को कर अस्त व्यस्त / धार्मिक गुरू थे, पर समाज की सेवा में खोया अपना तनमन / - शेखर जैन
SR No.032880
Book TitleSamajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotiprasad Jain
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
Publication Year1985
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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