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________________ पहला माना जा सकता है। हम लोग गगेरवाल जैन जातिय हैं और मेरे बहनोई श्री नेमीचन्द्र जी जैन पोरवाल जाति के थे / बहिन के विवाह के अवसर पर मैं 10 वर्ष का वालक था / किन्तु मुझे अच्छी तरह याद है कि हमारे गांव विजयगढ़ में ब्रह्मचारी जी हमारी हवेली के किस भाग में ठहरे थे और विवाह के अवसर पर एकत्र व्यक्तियों को ब्रह्मचारी जी ने किस प्रकार से अपने प्रगतिशील विचारों से प्रेरित किया था / छोटा होते हुए भी व्र० जी के विचारों से मैं इतना प्रभावित हुआ था कि उन्हें विदा देने के लिए मैं. अलीगढ़ तक गया था और उनके जाने का मुझे बहुत दुख हुआ था / यह वह. समय था जब जैन समाज छोटे दायरे में से निकल कर बढ़े दायरे में जा रहा था / अन्तर्जातीय विवाह का चलन तथा मरण भोज, दस्सा पूजा अधिकार, बाल विवाह आदि कुरीतियों को दूर करने की दिशा में प्रयत्न प्रारम्भ हो रहा था। उन सबके पीछे ब्रह्मचारी जी का प्रयास ही था / 1633 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चला गया था ।व० जी का वहां दो बार आगमन हुआ। एक वार हम जैन नवयुवकों को उन्होंने प्रो. आर एस० जैन के घर सम्बोधित किया और दूसरी बार विश्वविद्यालय के शिवाजी हाल में सभी छात्रों के सामने उनका प्रवचन हुआ / बाल स्वभाव जैसा होता है, कुछ विद्यार्थियों ने यह सोचते हुए कि यह साधु अंग्रेजी में क्या बोलेगा ? . उनसे अंग्रेजी में भाषण करने की प्रार्थना की और बाद में यह देखकर सभी चमत्कृत रह गए कि ब्रहमचारी जी ने सरल-सुबोध भाषा में अहिंसा अपरिग्रह और अनेकांत की व्याख्या की / फिर तो जैन-जैनेतर दोनों नवयुवकों का समुदाय उनका भक्त हो गया / वह अपने समय में लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकारों में थे / जैन साहित्य को उनकी देन आद्वितीय है t साथ ही इतिहास के वे अच्छे प्रणता थे / और उन्होंने लुप्त साहित्य और संस्कृति को प्रकाश में लाने का भागीरथ प्रयत्न किया था / सबसे अधिक आश्चर्य की बात तो यह है कि उस जमाने में परतंत्र देश में ऐसा स्वतंत्र-राष्ट्रप्रेमी और समाज को आगे ले चलने वाला व्यक्ति जैन समाज में हुआ, जिसकी उस समय कल्पना तक करना कठिन था / ब्रहमचारी जी की स्मृति को मेरे विनम्र प्रणाम /
SR No.032880
Book TitleSamajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotiprasad Jain
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
Publication Year1985
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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