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________________ 4] ससुराल जाते समय CHECRECHECREOCHROCHEXSECREECTROSCIENCSEEXICS और लोगोंमें हंसी होती है। भोजनके समय जो कुछ भक्ष्य वस्तु तेरी थालीमें परोसी जाय उसे ही रुचिपूर्वक ग्रहण करना (जीम लेना) कभी कोई वस्तु किसीसे छिपाकर नहीं खाना, क्योंकि ऐसा करनेसे आचार व धर्म बिगडता है और घरमें परिपूर्णता नहीं होती। (9) बेटी! सबेरे सबसे पहले उठना और रात्रिको सबके पीछे सोया करना। घरके बासन-बर्तन सदैव मांजकर साफ चमकते हुए सुखाकर रखना, नित्य चूल्हेंकी राख निकालकर चूल्हा और चौका मिट्टीसे पोतना कि जिससे झूठन न रहने पावे और जीव जंतु उत्पन्न न हो पावे। घरको झाड़ बुहार कर सदा स्वच्छ रखना, घरके किसी काममें कभी आलस्य नहीं करना और न कभी घरका काम पूरा हुए बिना नहीं बाहर जाना। निष्प्रयोजन घरों घर डोलना अच्छा कहीं होता है, इसलिए जब घरके धन्देसे अवकाश मिले तो धर्म व नीतिके उत्तम ग्रंथ और प्राचीन सती महिला जैसे-सीता, द्रौपदी, अंजना, राजुल, मेना, मनोरमा आदिके चरित्रोंको पढ़ने में समय बिताना जिससे समय निकल जावे, व मनोरंजन हो आत्माके भाव भी पवित्र होवें। क्रियाकोष, रलकरण्ड श्रावकाचार, द्रव्यसंग्रह, अर्थप्रकाशिका, मोक्षमार्ग प्रकाशक आदिका स्वाध्याय करते रहना तथा नित्य प्रति सोते जागते समय पंचपरमेष्ठिका स्मरण किया करना, जिससे सर्व कार्य निर्विघ्नता पूर्वक होवे व सदैव चित्त भी प्रसन्न रहे। . (10) बेटी! घरके सब काम हर्षपूर्वक किया करना क्योंकि कहा है : अपने कारजके लिये, खरचत हैं सब दाम। जगत कहावत है भली, काम भलो नहीं चाम॥
SR No.032878
Book TitleSasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipchand Varni
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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