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________________ 38] ससुराल जाते समय EXSECRECTECSEXERCOSECOREXSECOSECSEXXSEX क्योंकि यह काम जैसा आवश्यक है वैसा ही जोखमभरा और जवाबदारीका भी है। तुम रोगीसेवाका पाठ मैनासुन्दरीसे सीखो। देखो, उसने अपने कोढ़ी पति राजा श्रीपालकी कैसी सेवा की थी, जिसके प्रभावसे उनका पति कामदेव समान निरोग हो गया था। (17) बीमारीके समय बहुत नरनारी व्यर्थ ही भ्रमोत्पाद बातें कल्पना करके बीमारकी दवा आदि उपचार नहीं करते और धूर्तो (ठगों) के फन्दे में फंसकर झाड-फूंक (मंत्र तंत्र) कराते और इस प्रकारकी बीमारीको हाथसे खो बैठते हैं। इसलिये तुम कभी ऐसे भोले लोगोंके बहकाने में न लगो। और न कभी पाखण्डियोंमें द्रव्य गमाओ, किन्तु सदा अपने व आसपासवालोंके घरोंकी रक्षा करना तुम अपना कर्तव्य समझो। (18) घरमें कोई बीमार हो तो उस बारीकीसे बीमारीकी जड़ ढुंढ निकालो। प्रायः खराब हवा, अधिक शीत, अधिक उष्णता खराब पानी, प्रकृति विरुद्ध अनुपसेव्य, अभक्ष्य व अनिष्ट अपवित्र या कच्चा भोजन, मर्यादा रहित भोजन, अधिक भोजन कुसमय व रात्रि भोजन ये सब रोग उत्पन्न होनेके कारण हैं, इसलिये इस ओर ध्यान रक्खो। (19) हवा, पानी उजेला और पथ्य योग्य होनेसे ही औषधि काम देती है। अन्यथा कुसंयोगसे कभी अमृतयोग औषधि भी विषका काम कर जाती हैं इसलिये उक्त चार बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिये। इसके अतिरिक्त एक बात और ध्यानमें रखनेकी यह है कि तुम्हें रोगीका विश्वास करके उनके पास खानेपीनेकी कोई वस्तु कभी न रखना चाहिये, क्योंकि यह न मालूम कब क्या उठाकर खा ले और रोग बढ़ जाय। क्योंकि रोगीका चित्त डांवाडोल रहता
SR No.032878
Book TitleSasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipchand Varni
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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