SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 22] ससुराल जाते समय SUOSICIEUSEO SEXSHOOSEO SEOSEOKSESBO OSBOCITOCOS ऐसा न कभी देखा हैं और न सुना है ये सब केवल झूठ पाखण्ड हैं। तू भूलकर किसीके हजार बहकानेसे भी इनके फेरेमें न आना। कर्मकी गती कोई टाल नहीं सकता है। पतिवशकरणका मंत्र "पतिकी सेवा" हैं। और यही (यदि शुभ उदय हो तो) सन्तानोत्पत्तिका तावीज है। इसलिये मेरी प्यारी बेटी! तू सब व्यर्थ झगड़ोंको छोड़कर अपने पतिदेवकी सेवा ही सच्चे मनसे करना, इसीमें तेरा कल्याण है।। (39) बेटी! यदि किसी समय तेरा पति व गुरुजन तुझे कटुक वचन कहें पति ताडन भी करे तो तू मनमें क्रोध व खेद नहीं करना, न पतिका दोष दिखाना किन्तु अपनी भूल व दोष देखना। "यह कटु वचन व ताडन मेरे पतिने मुझे किस कारणसे किया है।" उसपर विचार कर पुन: उन दोषो व कारणोंको नहीं होने देना जिससे कि पुनः ताडना मिलनेका अवसर न आ सके। वह ताडन अपनी भलाईके ही लिये समझना। मनुष्य प्रायः पराये दोष देखनेमें ही अपना अमूल्य समय खो देते हैं सो यदि वह समय अपने ही दोष देखनेमें व उनका निराकरण करने में बिताया जाय तो कितना अच्छा हो! (40) बेटी! तेरा पति उत्तम कुलीन, सुन्दर, रूपवान, देवतुल्य, सौम्यमूर्ति, सदाचारी, सुशील, पुरुषार्थी और सज्जन पुरुष है, सो प्रथम तो तुझे ऐसा कुअवसर ही नहीं मिलेगा जिससे कि तुझे तेरे पतिके संबंधमें व्यसनादि सेवन करनेका समाचार सुन पड़े। और (दैव न करे कि) किसी प्रकार तेरे पूर्व अशुभ कर्मके उदयसे तेरे पतिमें ऐसा ही कोई दोष कदाचित् उत्पन्न हो जाय, या तुझे उनके प्रति ऐसी शंका उत्पन्न हो जाय, तो तू उनसे घृणा द्वेष, क्रोध व मानादि नहीं करना,
SR No.032878
Book TitleSasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipchand Varni
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy