SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय-सूची विषय शंका आधार पृष्ठ क्र. क्र.. 1 . क्या शुद्धोपयोग 4 थे गुणस्थान 1 . में होता है ? क्या अविरती गृहस्थ को शुद्धात्मानुभव होता है ? समयसार टीका श्री जयसेनाचार्य गाथा 201,202 समयसार टीका जयसेनाचार्य गाथा 320, प्रवचनसार टीका श्री जयसेनाचार्य गाथा 20,33 श्री नागसेन मुनि तत्वानुशासन के श्लोक क्र.४६ 47 का क्या अर्थ है ? . धर्मध्यान का क्या अर्थ है ? 4 का. अनुप्रेक्षा श्री स्वामी कार्तिकेय गाथा 471,472,473 भावसंग्रह की गाथा 381,382, 383 का क्या अर्थ है ? भाव संग्रह गाथा 383 का क्या अर्थ है ? प्रवचनसार टीका श्री जयसेनाचार्य गाथा 80 यदि सम्यक्त्वादि 4,5,6 वे गुणस्थानों का निर्णय बाह्य लक्षणों से कहें तो? धवल पु. 1/152 12 पंचा.गाथा 166 निय.गा. 144 प्रव.गा. 79 त.प्र. स.सा.गाथा 152, र.क.श्रा. श्लोक 33.102 /
SR No.032868
Book TitleNijdhruvshuddhatmanubhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeersagar, Lilavati Jain
PublisherLilavati Jain
Publication Year2007
Total Pages76
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy