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________________ 58] ऐतिहासिक स्त्रियाँ राजकुमारकी दृष्टि कुमारी पर पडी। उसके रूप लावण्यको देखकर राजकुमारको मनोजके शरोंका निशाना बनना पड़ा। राजकुमारने अपने महलोंमें जाकर एक दासीको बुलाया तथा हर तरहकी युक्ति समझकर जिस प्रकार हो सके कुमारीको लानेके लिये भेजा। दासीने जाकर अपने बुद्धिप्राबल्यसे कुमारिकाके सामने यह प्रस्ताव उपस्थित किया, जिसे सुनकर कुमारीने भयंकर रूप धारण कर लिया, नेत्र रक्तवर्ण हो गये, हृदय रोमांचित हो गया, उसने दासीको तथा राजकुमारको खूब फटकारा, तथा इसको महलोंसे निकाल बाहर किया। दासी अपनेको अपमानित समझ इसका बदला लेनेका विचार कर तुरत सुखानन्दजीकी माताके पास गई और उन्हें कुमारीके विरुद्ध इस तरह भड़काया कि तुम्हारा पुत्र तो द्वीपांतरमें रोजगार करने गया है, परंतु तुम्हारी पुत्रवधू नित्य राजकुमारके महलोंमें जाती है। सेठानीजीको यह समाचार सुननेसे अत्यन्त खेद हुआ। उन्होंने इसकी छानबीन कुछ न कर अपने कुलमें कलंक लगता हुआ समझ चुपकेसे यह समाचार सेठजीसे कह सुनाया और प्रस्ताव किया कि पुत्रवधूको माता पिताके यहां भेजनेका बहाना बतलाकर जंगलमें छुड़वा देना चाहिये। सेठजीने भी सेठानीजीकी बातों पर विश्वास कर इस प्रस्तावका समर्थन किया और प्रस्तावानुसार मनोरमा जंगलमें छुड़वानेके लिये भेज दी गई। जब उस सुशीला परम साध्वी सती मनोरमाको यह सब हाल उसके सारथिसे ज्ञात हुआ जो उसे जंगलमें छोड़नेके लिये जाता था, तब उसे एकाएक मूर्छा आ गई। मूर्छासे जागृत होनेपर फूट फूटकर रोने लगी। अपने परम प्यारे स्वामीका नाम स्मरण कर इस विपत्तिसागरसे उद्धार करनेके लिये उन्हें
SR No.032862
Book TitleAetihasik Striya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendraprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year1997
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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