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________________ 32] ऐतिहासिक स्त्रियाँ शिक्षा समाप्त हो चुकने पर इन्होंने यौवनावस्थामें पर्दापण किया। राजाको इनके विवाहकी चिंता हुई। और उन्होंने प्रथम ज्येष्ठपुत्री सुरसुन्दरीको बुलाकर प्रश्न किया कि तुम्हारी अवस्था विवाह योग्य हो गई है। इसलिये तुम्हारी इच्छा किसके साथ विवाह संबंध करनेकी हैं सो कहो तदनुसार कार्य किया जावे। कुमारीके उत्तरानुसार उसकी शादी कौशांबीपुरके राजकुमार हरिवाहनसे करना निश्चय कर दी गई। इसी तरह राजाने दुसरी पुत्री मैनासुन्दरीको बुलाकर प्रश्न किया, परंतु राजकुमारी मैनासुन्दरी बहुत ही लज्जावती और गुणवती कन्या थी। उसे लज्जारहित प्रश्न कुलवधुओंसे किया जाना अनुचित मालुम हुआ। ___ इसलिये लज्जायुक्त होकर उसने इसका कुछ उत्तर नहीं दिया। फिर राजाके अनुरोधसे उसने विनय की कि "उच्च कुलकी प्रतिष्ठित कन्यायें अपने माता पिताओंसे कभी अपने लिये वरकी इच्छा प्रगट नहीं करती। पिता-माता उनका जिसके साथ संबंध कर देते हैं वही उनका सर्वस्व हो जाता हैं और उसीसे वे संतुष्ट रहती है, आपका मूझसे यह प्रश्न करना अनुचित है।" राजसुन्दरीको इस स्वाधीनता और महत्वपूर्ण उत्तर से तथा और भी कई उत्तरोंसे जिनमें कि उसने सबसे श्रेष्ठ राजाको न बतलाकर अपने भाग्यको बतलाया था, सुन्दरीसे राजा असंतुष्ट हो गया और क्रोधके आवेशमें आकर उसके भाग्य-गर्वको नष्ट करनेके लिये उचितानुचितका कुछ विचार न कर प्रयत्न सोचने लगे। एक दिन राजा पहुपाल ससैन्य वनक्रीडा करता हुआ उस भयंकर जंगलमें जा पहुंचा, जहां चम्पापुरका राजा श्रीपाल अपने पूर्वकृत कर्मोके उदयसे कई अनुचरों सहित कुष्टरोगसे अत्यन्त पीडित हों अपने शरीरकी दुर्गन्धसे प्रजाजनोंको कष्ट
SR No.032862
Book TitleAetihasik Striya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendraprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year1997
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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