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________________ 18] ऐतिहासिक स्त्रियाँ "महाराज! आपकी ख्याति सुनकर लव और कुश दो राजपुत्र युद्धके लिये आये हैं। यदि आपमें सामर्थ्य है तो इनके साथ युद्ध कीजिये।" राम और लक्ष्मणको बड़ा आश्चर्य हुआ और बोले-"अच्छा, ऐसा ही करेंगे।" उभय पक्षके योद्धागण संग्राम भूमिमें अवतीर्ण हो गये। महा तुमुल युद्ध होने लगा। __ लव रामसे और कुश लक्ष्मणसे लड़ने लगे। लव और कुश दोनों भाई बड़े वीर थे। दोनोंने रणाङ्गणमें अपना अजेय पराक्रम दिखाया। लवने रामके सात रथ तोड़ डाले। इधर कुशने भी लक्ष्मणको अस्तव्यस्त कर दिया। कुशके एक बाणसे लक्ष्मण अचेत हो गये, तब उनका सारथी लक्ष्मणको अयोध्या ले जाने लगा। मार्गमें ही लक्ष्मण सचेत हुए और रणभूमिमें लौट आये। लक्ष्मणने क्रुद्ध होकर कुशके ऊपर चक्र प्रहार किया। चक्र तीन प्रदक्षिणा देकर कुशकी भुजा पर स्थिर हो गया। उसे लेकर कुशने लक्ष्मण पर चलाया, पर उसी तरह प्रदक्षिणा देकर भुजा पर स्थिर हो गया। इसी प्रकार उस चक्रने सात बार गतागत किया पर किसीपर वह नहीं चला अर्थात् किसीका प्राणघात उससे नहीं हुआ। लक्ष्मण अधीर और निरुद्यमी हो गये। चक्र न चलनेसे बड़ा आश्चर्य हुआ। उपर विमानमें सीता भामण्डल और नारद प्रभुति इस बन्धूसंग्रामको देख रहे थे। नारदने आकर कहा-क्यों अधीर हो गये? लक्ष्मण लजित हुए। फिर नारदने कहा कि यह दोनों सीता-सुत हैं इस बातको सुनकर असीम आनंद हुआ। लक्ष्मण अपने भाई रामचंद्रके पास गये और सब वृत्तान्त कहा। दोनों भाई युद्धके आरम्भको छोड़कर अपने वीर पुत्रोंके सन्मुख आये। रामचंद्र और
SR No.032862
Book TitleAetihasik Striya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendraprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year1997
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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