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________________ 144 क्षयोपशम भाव चर्चा वस्त-विशेष से भिन्न-भिन्न फल देता है। उससे क्या सिद्ध होता है? जब पर्वगाथा कथित न्याय से सम्यक्त्वपूर्वक शुभोपयोग होता है, तब मुख्यरूप से पुण्यबन्ध होता है और परम्परया मोक्ष होता है। यदि वह वैसा (सम्यक्त्व के साथ) नहीं होता है तो मात्र पुण्यबन्ध ही होता है। (तात्पर्यवृत्ति) प्रवचनसार, गाथा 256 अथकारणवैपरीत्यात्फलमपि विपरीतं भवतीति तमेवार्थं दृढ़यति / ..... तथाहि - ये केचन निश्चय-व्यवहारमोक्षमार्ग न जानन्ति, पुण्यमेव मुक्तिकारणं भणन्ति, ते छद्मस्थशब्देन गृह्यन्ते, न च गणधरदेवादयः। ते छौस्थैरज्ञानिभिः शुद्धात्मोपदेशशून्यैर्ये दीक्षितास्तानि छद्मस्थविहितवस्तूनि भण्यन्ते / तत्पात्रसंसर्गेण यव्रतनियमाध्ययनदानादिकं करोति, तदपि शुद्धात्मभावनानुकूलं न भवति, ततः कारणान्मोक्षं न लभते / सुदेवमनुष्यत्वं लभत इत्यर्थः। अर्थात् अब, कारण की विपरीतता से फल भी विपरीत होता है - ऐसे उसी अर्थ को दृढ़ करते हैं। ..... वह इस प्रकार - जो कोई निश्चय-व्यवहाररूप मोक्षमार्ग को नहीं जानते हैं, पुण्य को ही मुक्ति का कारण कहते हैं. यहाँ वे छद्मस्थ शब्द से ग्रहण किये गये हैं, गणधरदेवादि नहीं। शुद्धात्मा के उपदेश से रहित, उन छद्मस्थ अज्ञानियों से जो दीक्षित हैं, वे 'छद्मस्थ-विहित (व्यवस्थापित) वस्तुएँ' कहलाती हैं। उन पात्रों के संसर्ग से जो व्रत, नियम, अध्ययन, ध्यान, दान आदि करते हैं, वे भी शुद्धात्मा की भावना के अनुकूल नहीं है। उस कारण वे मोक्ष प्राप्त नहीं करते हैं। सुदेव, सुमनुष्यत्व आदि प्राप्त करते हैं - ऐसा अर्थ है।' (तात्पर्यवृत्ति) समीक्षा - आगे, कारण-विपरीतता से फल-विपरीतता दर्शाते हुए, आचार्यदेव और भी कहते हैं कि 'सम्यक्त्व और व्रतरहित पात्रों में भक्ति (श्रद्धा) रखनेवाले जीव, कुदेव, कुमनुष्य होते हैं तथा वे ऐसी श्रद्धा भी करवाते हैं कि विपरीतता के कारण अविपरीत-फल की सिद्धि नहीं होती। अविपरीत फल की प्राप्ति तो अविपरीत-कारण से ही होती है और वह अविपरीत-कारणता तो एक मात्र शुद्धात्म-ज्ञानी, विषय-कषाय से अति दूर, शास्त्र-मर्मज्ञ, सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र
SR No.032859
Book TitleKshayopasham Bhav Charcha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandra Jain, Rakesh Jain
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust
Publication Year2017
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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