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________________ नित्य नियम पूजा [ 233 केशर कपूर मिलाय, चंदन ले आयो / मम भव आताप नशाय, पूजत सुख पायो ॥श्री.॥ ॐ ह्रीं श्री मुनिसुव्रत जिनेन्द्राय संसारताप विनाशनाय चंदनं निर्वः स्वाहा। मुक्तासम उज्वल लाय, अक्षत चढवायो / अक्षयपद दीजो नाथ. तुम चरण आयो / श्री. ॐ ह्रीं श्री मुनिसुव्रत जिनेन्द्राय अक्षयपद प्राप्तये अक्षतान निर्वपामीति स्वाहा / इस काम महारिपु काज, बहु दुःख पावत हूँ। थिरता निजमें मिल जाय, पुष्प चढायत हूँ।श्री.॥ ॐ ह्रीं श्री मुनिसुव्रत जिनेन्द्राय कामबाण विध्वंशनाय' पुष्पं निर्व० स्वाहा / मन मोहन मोदक आन थाली भर लायो / मम क्षुधारोग मिट जाय, तुमपद चढवायो श्रिी.॥ ॐ ह्रीं श्री मुनिसुव्रत जिनेन्द्राय क्षुधारोग विनाशनायः नैवेद्य निर्व० स्वाहा / यह दिप रतनमय लाय, धारु तुम आगे। मम मोहतिमिर नश जाय, ज्ञान कला जागे |श्री.॥ ॐ ह्रीं श्री मुनिसुव्रत जिनेन्द्राय मोहान्धकार विनाशनाया दीपं निर्ग० स्वाहा। यह कर्म महावलवान, चहुँगति भरमावे / खेऊ चरणन में धूप, करम सब कटजाये. ॥श्री.॥
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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