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________________ नित्य नियम पूजा [231 श्रीफल नारंगी खारक पुगी, चोचमोच बहुभांति लिये। जिनचरण चढावो भक्ति बढावो,शिवफल पावो सूरि किये.' ___ॐ ह्रीं श्री महुवानगर विराजित श्री विघ्नहर पार्श्वनाथाय मोक्षफल प्राप्तये फल नि० स्वाहा / जल गंध सु अक्षत, कुसुम चरूवर, दीप धूप फल ले भारी। यह अर्घ सु कीजे, जिनपद दीजे, 'विद्याभूषण' सुखकारी.पू ___* ह्रीं श्री महुवानगर विराजित श्री विघ्नहर पार्श्वनाथाय अनपद प्राप्तये अर्घ नि स्वाहा / जयमाला। चन्द्रनाथं नमस्कृत्यं, नत्वा च गुरुपादकम् / पार्श्वनाथस्य जयमाला, वक्ष्ये प्राणि-प्रसौख्यदाम् // पद्धरि छन्द / जय पाव जिनेश्वर अकलरूप,जय इन्द्र चन्द्र फणिनमतभूप जय विश्वसेनके पुत्र सार, जय वामादेवी सुत धर्मकार / / जय नीलवर्ण वर सायर काय, जय नवकार ऊचो जिनंदराय जय शतएक जिनपर तनु आय.जय खंडित क्रोध त्रिशल्यमाय जय उग्रवंश उदियो सुर, जय कमठ महान ते किया दूर। जयभूत पिशाचा दूर त्रास, डाकिनी शाकिनी आवे न पास / / जय चिंतामणि तुम कल्पवृक्ष,जय मनवांछित फल दान दक्ष / जय नंत चतुष्टय सुखधार, जय 'विद्याभूषण' नमत सार / धत्ता / जय पारस देवं सुरीकृत सेवं, नासिय जन्म जरा मरणम् / जय धर्म सुदाता भव जल, त्राता, विघ्नहर सेवित चरणम् / /
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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