SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 186 ] नित्य नियम पूजा बुद्धस्त्वमेव विबुधार्चित बुद्धि-बोधात्, त्वं शंकरोसि भुवन-य-शंकरत्वात् / धाताऽसि धीर ! शिव-मार्ग-विधेविधानात्, व्यक्तं त्वमेव भगवन् पुरुषोत्तमोऽसि / 25 / तुभ्यं नमस्त्रि-भुवनातिहराय नाथ ! तुभ्यं नमः क्षिति-तलामल-भूषणाय / तुभ्यं नमस्त्रिजगतः परमेश्वराय, तुभ्यं नमो जिनभवोदधि-शोष णाय / / 26 // को विस्मयोऽत्र यदि नाम गुणरशेषस्त्वं संश्रितो निरवकाशतया मुनीश ! दोषैरुपात्त-विविधाश्रय-जात-गर्वैः, स्वप्नांतरेऽपि न कदाचिदपीक्षितोऽसि // 27 // उच्चौरशोक-तरु-संश्रितमन्मयूख - माभाति रूपममलं भवतो नितान्तम् / स्पष्टोल्लसत्किरणमस्त-तमो वितानं, विम्ब रवेरिव पयोधर-पार्श्ववति / / 28 / 10 सिंहासने मणि-मयूख-शिखाविचित्रे, विभ्राजते तव वपुः कनकावदातं / बिम्बं विय द्विलसदंशुलता-वितानं, तुङ्गोदयाद्रि-शिरसीव-सहस्त्र-रश्मेः / .29 / /
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy