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________________ नित्य नियम पूजा [ 125 जय नाग नागिनी भये अधीन, प्रभु चरनन लाग रहे प्रवीन तनके सो देह स्वर्गे सु जाय, धरणेन्द्र पद्मावती भये आय 4 जय चोर सुअंजन अधमजान, चोरी तज प्रभुको धरे ध्यान जय मृत्यु भये स्वर्गे सु जाय, ऋद्धि अनेक उनने सो पाय 5 जय मतिसागर इक सेठ नान जिन, रविवत पूजा करि ठान तिनके सुत थे पर देश मांहि, जिन अशुभ कर्म काटे सु ताहि 6 जे रविव्रत पूजन करि सेठ ता फलकर सबसे भई भेट / जिन जिनने प्रभुकी शरण लीन, तीन रिद्धि सिद्धि पाई नविन जे रविव्रत पूजा करहि जेय, ते सुक्ख अनन्तानन्त ले / धरणेन्द्र पद्मावती हुए सहाय प्रभु भक्त जान तत्काल जाय पूजा विधान इहि विधि रचाय, मन वचन काय तीनों लगाय जे भक्तिभाव जयमाल गाय सोही सुख सम्पति अतुल पाय बाजत मृदंग बीनादि सार, गावत नाचत नाना प्रकार / तन नननननननन ताल देत, सन नननननन सुर भर सुलेत ता थेई थेई थेई पग धरत जाय, छमछमछमछम घुधरु बजाय जे कहति निरति इहि भांति२, ते लहहि सुक्ख शिव पुरसुजातः दोहा-रविव्रत पूजा पार्श्वकी करे भाविक जन जोय / __ सुख सम्पत्ति इह भव लहें तुरत सुरंग पद होय / / ॐ ह्रीं श्री पार्श्वनाथाय जिनेन्द्राय पूर्णीय निर्व० / अडिल्ल-रविव्रत पाय जिनेन्द्र पूज्य भवि जन धरे / भव भव के आताप सकल छिनमें टरें / /
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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