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________________ 124 ] नित्य नियम पूजा मणिमय दीप रतन मय लेकर, जगमग जोति जगाई। जिनके आगे आरति करके, मोह तिमिर नशजाई पा. दीपं चूनकर मलयागिरका चन्दन, धूप दशांग बनाई। तव पावकमें खेय भावसों, कर्मनाश हो जाई / पारस.। धूपं श्रीफल आदि बदाम सुपारी, भांति भांति के लायो श्रीजिनचरन चढाय हरष कर, तातै शिवफल पावो ।पा. फलं जल गन्धादिक अध्य द्रव्य ले, अरघ बनाओ भाई। नाचत गावत हर्षभाव सों कंचन थार भराई / पा. / अर्घ गीता छन्द मन वचन काय विशुद्ध करके पार्श्वनाथ सु पूजिये / जल आदि अर्घ बनाय भविजन भक्तिवंत सु हुजिये / पूज्य पारसनाथ जिनघर, सकल सुख दातारजी / जे करत हैं नरनारी पूजा, लहत सुख अपारजी पूर्णा / / जयमाला दोहा-यह जगमें विख्यात है, पारसनाथ महान / जिन गुनकी जयमालिका, भाषा करो बखान / पद्धरि छन्द जय जय प्रगमों श्रीपार्श्वदेव, इन्द्रादिक तिनकी कात सेव / जय जय सु बनारस जन्म लीन, तिहूंलोक विष उद्योत कीन / जय जिनके पितुश्रीविश्वसेन, तिनके घर भये मुख चैन देन / जय बामा देवी मात जान, तिनके उपजे पारस महान // 2 जय तोन लोक आनन्द देन, भविजनके दाता भए ऐन / जय जिनने प्रभुको शरण लीन, तिनकी सहाय प्रभुजो सो क्रीन
SR No.032857
Book TitleNitya Niyam Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Pustakalay
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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