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________________ श्रावक-वर्णनाधिकार (9) परिग्रह त्याग व्रत प्रतिमा का धारक (श्रावक) परिग्रह का त्याग करता है। (10) अनुमति त्याग व्रत प्रतिमा का धारक (श्रावक) पाप कार्यों का उपदेश देने एवं अनुमोदना करने का त्याग करता है। (11) उद्दिष्ट त्याग व्रत प्रतिमा का धारक (श्रावक) उद्देश्य से (उसके अपने लिये बनाये गये) भोजन का त्याग करता है / इसप्रकार सामान्य लक्षण जानना / आगे इनका विशेष वर्णन करते हैं। (1) दर्शन प्रतिमा दर्शन प्रतिमा का धारक (श्रावक) पहले कहे हुये आठ मूलगुणों को ग्रहण करता हुआ, सात व्यसनों का त्याग करके इनके अतिचारों को भी छोडता है / कुछ आचार्य आठ मूलगुण इस प्रकार भी बताते हैं :(1) पांच उदम्बर का त्याग (2 से 4) तीन मकार का त्याग, इसप्रकार पहले इन चार को अलग गिनाकर आठ कहते हैं / चार तो ये हुये तथा (इन आचार्यों की अपेक्षा) शेष चार इस प्रकार जानना, (1) णमोकार मंत्र का धारण (2) दया-चित्त (3) रात्रि भोजन का त्याग (4) दो घडी से अधिक समय पूर्व छाने गये जल का त्याग - इसप्रकार आठ मूलगुण जानना / आगे सात व्यसनों के नाम बताते हैं - (1) जुआ (2) मांस (3) दारू (शराब) (4) वेश्या- (इन चार का) सेवन (5) परस्त्री सेवन (6) शिकार करना (7) चोरी करना - ये सात व्यसन हैं, इनका सेवन करने पर राजा दण्ड देता है, तथा लोक में महानिन्दा होती है, ऐसा जानना / आठ मूलगुणों तथा सात व्यसनों के अतिचारों का वर्णन। .. पहले दारू (शराब) के अतिचार - आठ पहर से अधिक का अथाणा (आचार) तथा चलित रस (जिन वस्तुओं का स्वाद बदल/बिगड गया है) एवं वस्तुयें निज पर फफूंद आ गयी हो, उन वस्तुओं का भक्षण करना,
SR No.032848
Book TitleGyananand Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaimalla Bramhachari
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust
Publication Year2010
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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