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________________ 142 ज्ञानानन्द श्रावकाचार कारित (14) मन वचन काय कारित (15) मन अनुमोदना (16) वचन अनुमोदना (17) काय अनुमोदना। (18) मन वचन अनुमोदना (19) मन काय अनुमोदना (2) वचन काय अनुमोदना (21) मन वचन काय अनुमोदना (22) मन कृत कारित (23) वचन कृत कारित (24) काय कृत कारित (25) मन वचन कृत कारित (26) मन काय कृत कारित (27) वचन काय कृत कारित (28) मन वचन काय कृत कारित (29) मन कृत अनुमोदित (30) वचन कृत अनुमोदित (31) काय कृत अनुमोदित (32) मन वचन कृत अनुमोदित (33) मन काय कृत अनुमोदित (34) वचन काय कृत अनुमोदित (35) मन वचन काय कृत अनुमोदित / (36) मन कारित अनुमोदित (37) वचन कारित अनुमोदित (38) काय कारित अनुमोदित (39) मन वचन कारित अनुमादित (40) मन काय कारित अनुमोदित (41) वचन काय कारित अनुमादित (42) मन वचन काय कारित अनुमादित (43) मन कृत कारित अनुमोदित (44) वचन कृत कारित अनुमोदित (45) काय कृत कारित अनुमादित (46) मन वचन कृत कारित अनुमादित (47) मन काय कृत कारित अनुमोदित (48) वचन काय कृत कारित अनुमोदित (49) मन वचन काय कृत कारित अनुमोदित / __इनमें एक पहले तीन में से तथा एक दूसरे तीन में से लेने पर नव (9) भंग हुये तथा एक पहले तीन में से एवं दो दूसरे तीन में से लेने से पुनः नव (9) भंग हुये / एक पहले तीन में से तथा तीनों दूसरे लेने पर तीन भंग हुये तथा दो पहले तीन में से एवं एक दूसरे तीन में से इसप्रकार नव (9) भंग हुये। दो पहले तीन में से तथा दो ही दूसरे तीन में से लेने से भी नव (9) भंग हुये। दो पहले तीन में से तथा तीनों दूसरे के इसप्रकार तीन भंग हुये तथा तीनों पहले के तथा एक-दूसरे तीन में से इसप्रकार तीन भंग हुये।
SR No.032848
Book TitleGyananand Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaimalla Bramhachari
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust
Publication Year2010
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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