________________ 240] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान NWEINNNNNNNNNNNNNISESE मणिमई दीप अमोलिक लेकर, जिनमंदिरमें आवो। आरति कर जिनराज चरनकी, जगमग जोति जगावो॥ विद्युन्माली. // 7 // ॐ ह्रीं. ॥दीपं // अगर कपूर सुगंध दशों दिश, फैले वास सु नीके। खेवत भविजन ले धूपायन, सन्मुख जिनवरजीके॥ विद्युन्माली. 4. // ॐ ह्रीं. // धूपं॥ श्रीफल लौंग सुपारी पिस्ता किसमिस दाख मंगावो। मीठे सरस सचिक्कन फल ले, जिनपद आन चढ़ावो॥ विद्युन्माली. // 1 // ॐ ह्रीं. // फलं // जल फल अर्घ बनाय गाय गुण श्री जिनमंदिर जाइये। भाव भगत सो पूजा करके, बहुविध पुन्य उपजाइये॥ विद्युन्माली. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घ / अथ प्रत्येकाघ - सुन्दरी छन्द मेरु विद्युन्माली जानिये, अग्नि दिश सौमनस वखानिये। नागदंत शिखर जिनधाम जू, अर्घ ले पूजत तज काम जू॥ __ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके अग्नि दिश सौमनस नाम गजदन्त पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१॥ अर्घ / मेरु विद्युन्माली तें गिनो है दिशा नैऋत्य सुहावनो। नागदंत सु विद्युत्प्रभ जहां, जिनभवन ले अर्घ जजों तहां। ___ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके नैऋत्य दिश विद्युत्प्रभ नाम गजदन्त पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥२॥ अर्घ // मेरु विद्युन्माली भावनो, पवन दिश गजदंत सुहावनो। मालवान शिखर जिन गेह जू, अर्घ सो पूजत धर नेह जू॥ ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके वायव्य दिश मालवान नाम गजदन्त पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥३॥ अर्घ //