________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [197 urururuFIGURNOrurururururururururu मलयागिर चन्दन केसर घसकर, श्री जिनचरण चढावो। भाव भक्ति सों पूजा कीजै, हरष२ गुण गावो॥वो जिन.॥ मंदिर गिरकी वो जिन. // 3 // ॐ ह्रीं. // चंदनं / / मुक्ताफल सम उज्जल अक्षत, मल मल धोय धरीजै। परम महा उत्तम जिनवर ढिग, पुंज मनोहर दीजै॥वो जिन.॥ मंदिर गिरकी वो जिन. ॥४॥ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ कमल केतकी जुही चमेली, श्री गुलाब ले आवो। सुर तरुवरके फूल सुवासी,श्रीजिनचरण चढावो॥वो जिन.॥ ___ मंदिर गिरकी वो जिन. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं // फे नी घेवर मोदक खाजे, ताजे तुरत बनावो। हाथ जोड श्रीजिनवर आगे, पूजत मन हरषावो।वो जिन.॥ मंदिर गिरकी वो जिन. ॥६॥ॐ ह्री. // नैवेद्यं॥ जगमग जोत होत दीपककी, रतन कटोरी धरकै / श्रीजिनवरको पूजतभविजन,मोह तिमिरको हरकै।वो जिन.॥ मंदिर गिरकी वो जिन. // 7 // ॐ ह्री. // दीपं // कृश्नागर करपूर मिलाके , दस विध धूप सु लेवो। श्रीजिनचरन कमल ढिगलेके,धूपायन घर खेवो॥वो जिन.॥ मंदिर गिरकी वो जिन. // 8 // ॐ ह्रीं. ॥धूपं // श्रीफल लौंग बदाम छुहारे पिस्ता दाख सु लावो। कोमल मधुर सुरससुन्दर फल,श्रीजिनचरण चढ़ावो।वोजिन. मंदिर गिरकी वो जिन. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ जल फल अरघ बनाय गाय गुण, श्रीजिन चरण पद पूजो। बलर जात लाल चरणन पर जिन सम देव न दूजो॥वो जिन मंदिर गिरकी वो जिन. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घ॥