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________________ कार्य इत्येव तत्वज्ञाः] महाभारतस्थ [ कार्य गणहित मिथः कार्य इत्येव तत्त्वज्ञाः 12. 136. 1989. कार्ययोगवहः सदा 5. 70.37. कार्य एव पराक्रमः 12. 137. 80. कार्ययोगात्तथैव च 5. 148. 13. कार्यकर्ता महायशाः 1.461*. 1 post. कार्यवत्तामचिन्तयत् 7. 66. 284. कार्यकारणकर्तृत्वे 6. 35. 20*. 13. App. 15. 4204 pr. कार्यवत्तामिमां प्रभो 12. 249. 1. कार्यकारणभावनः 12. App. 19. 115 post. कार्यवत्ता निवेद्य ह 5.96.8. कार्यकारणवेदिभिः 1. 586*.2 post. कार्यवत्तां विचारयन् 7. 59. 11. 12. 349. 14. कार्यकारणसंदेहः 13. 1. 34. कार्यवन्तो गृहानेत्य 2. 19. 50%. कार्यकारणसंयोगे 12.204. 10. कार्यवन्तोऽभवंस्तदा 5. 174.1. कार्यकारणसंश्लिष्टं 12. 9. 30deg. कार्यवान्मुनिपुंगवः 1. 57. 571. कार्यकालं च मन्येऽहं 1. 3. 186%. कार्यवांश्चैव भिक्षुकः 5. 179*.2 post. कार्यगौरवकारणात् 1. App. 48. 96 post. कार्यविघ्नमनुस्मृत्य 14. 75. 11. कार्यज्ञश्च महाभुज 14.59.2. कार्यवृत्तान्तमेव च 1. 38. 14. कार्यतत्त्वार्थदर्शिना 7. 888*. 1 post. कार्यव्यासक्तमनसः 12. 209.7". कार्यते चैव कालेन 12. 137. 46. कार्यसंग्रहकारकम् 12. 204.7. कार्यते दारुयन्त्रवत् 5. 156. 14. कार्यसंसाधनार्थाय 5. 102. 22. कार्यते यच्च क्रियते 13. 150. 1". कार्यसिद्धिं बदन्त्येते 1. App. 48. 32 pr. कार्यते झवशः कर्म 6. 25. 5. कार्यस्तत्र न शोको वै 12. 15. 46deg. कार्यद्वयमुपस्थितम् 6. 89. 10. कार्यस्तावद्विशां पते 1. 187. 20. कार्यमद्य मया तव 13. 98.5". कार्यस्तेजोवधस्त्वया 6. 41.814. कार्यमद्य यथाकामं 12. App. 20.60 pr. कार्यस्त्विह सुहृद्यपि 12. 137. 40'. कार्यमभ्युत्सहन्ति च 12. 131.60. कार्यस्य तु विनाशके 2. 352*. 11 post. कार्यमर्थसमन्वितम् 12. 59. 108. कार्यस्य प्रत्यवेदयत् 3. 266. 21. कार्यमस्मै न्यवेदयत् 3. 106. 22f. कार्यस्य सर्वथा नाशः 12. 166*. 9 pr. कार्यमागमने च यत् 13. 20. 11. कार्यस्यानन्तरो भव 4. 20. 154. कार्यमात्महितं नरैः 12. 137. 80% कार्यस्यापि विचिन्तयन् 1. 80*. 1 post. कार्यमात्महितं सदा 13. App. 10. 150 post. कार्यस्यास्य च गौरवात् 2. 62. 164. कार्यमात्ययिकं हितम् 4. 29.8. कार्यस्यास्य जनार्दन 2. 15.5*. कार्यमात्ययिकं हि नः 7. 102. 474. कार्यस्यास्य तु यच्छेषं 12. 31. 3. कार्यमानुषरूपं वै 2. 416*. 1 pr. कार्यस्यास्य विनिश्चयम् 2. 45. 41; 51.5". कार्यमाहुः समेत्य मे 2. 12. 37'. कार्यस्यास्य विनिश्चये 9.62.6*. कार्यमित्येव मन्धानाः 13. 58. 16deg; 59. 13. कार्यस्येह विनिश्चयः 12. 192. 110'.. कार्यमित्येव यत्कर्म 6. 40. 9". कार्य कर्तुं निग्रहे सूतजस्य 8. 671.2; App. 20. 12. कार्यमुत्स्रष्टुमर्हसि 11.8*.8 post. ; App. 1. 44 post. कार्य कर्म करोति यः 6. 28. 1. कार्यमूचुनराधिपाः 5. 54. 6. कार्य कर्म समाचर 6. 25. 196. कार्यमेतत्त्वयानघ 3. 147*. 1 post. कार्य कारणमेव च 12. 326. 37,56deg, कार्यमेतत्परं मम 8. 42. 564. कार्य कार्यविशारद 5. 176. 224. कार्यमेतत्प्रसाध्यताम् 1. 2005*.2 post. कार्य कार्य च नित्यशः 13. App. 14. 136 post. कार्यमेतन्न बुध्यसे 4. App. 22.28 post. कार्य किंचन विद्यते 13. 20. 599. कार्यमेतन्मतं सदा 7. 85. 85. कार्य किं चास्मदागमे 2. 19. 43". कार्यमेतन्महत्तव 3. 22. 14. कार्यं कुरुत तैः सर्वे 4. 32. 37. कार्यमेतन्महब्रह्मन् 5. 177. 18deg. कार्यं कुर्यान्न वा कुर्यात् 12. 79. 36". कार्यमेव न संशयः 1. App. 114. 75 post. कार्यं कुर्वीत मोक्षवित् 14. 46. 34. कार्यमेवानुशासनम् 13. 107, 137. कार्य गणहितं मिथः 12. 108.25%, - 706 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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