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________________ कर्शयन्देहमात्मनः] महाभारतस्थ [कलहान्तं तितीर्षवः कर्शयन्देहमात्मनः 9. 39. 23%; 40. 2. कर्शयंस्तं परावसेत् 12. 69. 214. कर्शयामः स्वमित्राणि 3. 34.9". कर्शितं व्याधितं क्लिन्नं 1. App. 81. 157 pr. कर्शिता धर्मदर्शिनः 13. App. 15.681 post. कर्शिताय महावने 12. 44. 11. कर्शिताश्च महावने 3. 228. 8. कर्शिता सुवताचारे 14.93. 46deg. कर्शिताः शरपीडिताः 6. 46. 124. कर्शितौ पुरुषोत्तमौ 5.94. 184. कर्शितौ वां मया क्षुधा 13. 55. 19d. कर्षकश्चापि यो द्विजः 14. App. 4. 3235 post. कर्षकस्याचरन्वितं 3. 10. 18%. कर्षकायावसीदते 2. 5. 68. कर्षकेणोपपादितम् 5.77.2. कर्ष केभ्यः परंतपाः 4. 175*. 1 post. कर्षको मत्सरी चास्तु 13. 95. 68deg; 96. 19deg. कर्षणं वपनं तथा 13. App. 15. 2477 post. कर्षणं साधयन्यस्तु 14. App. 4. 1449 post. कर्षता बलिना बलात् 2. 62. 14. कर्षतामितरेतरम् 7. 19. 39". कर्षत्येव रसान्प्रति 3. 246. 244. कर्षत्येव वसुंधराम् 9. 52.76. कर्षन्तावितरेतरम् 1. 1538*. 6 post. कर्षन्ति च महद्यशः 5. 36. 290. कर्षन्ती तौ ततस्ते तां 15. 31. 12. कर्षन्तु भुवि संहृष्टाः 1. 141. 9. कर्षन्तो लाङ्गलैः पुंसः 3. 199. 19. कर्षन्त्यो हीनशोधनाः 8. 320*. 1 post. कर्षन्यादववाहिनीम् 1. 194. 15. कर्षमाणश्च पाण्डवम् 1. 151. 19. कर्वमागो वरूथिनीम् 5. 191. 136. कर्षश्च युधि पाण्डवम् 1. App. 93. 36 post. कलत्रकार्य संस्थाप्य 13. App. 15.586 pr. कलत्रमादितः कृत्वा 12. 88. 29". कलनवन्तोऽपि सुखं 13. App. 15. 1922A 4 pr. कलत्रसको माधुर्य 13. App. 15. 2347 pr. कलनसौख्यं विन्दन्ति 13. App. 15. 811A 2 pr. कलत्रस्नेहमेव च 14. 93. 670. कलत्रस्य बहुत्वात्तु 16. 8. 56". कलत्रस्य महामतिः 16.8.65%. कलत्रं चापि गृह्णते 15. 25*.2 post. कलत्रं पार्थशासनात् 16. 8. 34'. कलत्रं पीडयित्वापि 13. App. 15. 3217 pr. 14. App. 4. 2269 pr. कलत्रं मध्यतस्तथा 12. 101. 40*. कलत्रं वाहनानि च 12. 322. 22". कलत्रापेक्षया नरः 12.309. 87%3; 461*. 11 post. कलने वाथ वा मित्रे 4. App. 22.9 pr. कलभो मेघवाहनः 2. 13. 12. कलमव्यक्तमद्भुतम् 13. 84. 41". कलमव्यक्तमब्रवीत् 1. 147. 200. कललं किंचिदन्तरम् 11. 14*. 1 post. कललं नाम जायते 12. 308. 116". कललाज्जायते पिण्डं 13. App. 15. 2500 pr. कललादर्बुदोत्पत्तिः 12. 308. 117". कलविका विनिष्पेतुः 5.9. 380. कलविङ्काश्च सर्वशः 5. 9. 354. कलशश्चाभितो जलम् 13. 70. 44. कलशस्थं जगाम ह 9. 37. 31". कलशं गृह्य देवलः 9. 49. 144. कलशं जलपूर्ण वै 9. 49. 18. कलशं पूर्णमादाय 9.64. 37deg. कलशं भविता भद्रे 1. App. 35. 6 pr. कलशानि घटानि च 2. App. 15.242 post. कलशानि समन्ततः 2. App. 29. 11 post. कलशान्काञ्चनान्राजन् 15.34. 12. कलशान्भाजनानि च 14. 142*. 1 post. कलशान्वर्धमानकान् 14. 64. 1203; 87. 4. कलशांश्च हिरण्मयान् 13. App. 3A. 282 post. कलशांस्तात युज्यन्ते 4. 47. 1". कलशे तस्य धीमतः 1. 121. 5. कलशे वै महातपाः 9. 37. 31. कलशैविप्रविद्धैश्च 3. 100. 10. कलशैः काञ्चनैर्नृप 9. 44. 18. कलशोत्तमसंभवः 7. 101. 3. कलशोदर एव च 9. 44. 67. कलश्यां चाप्युपस्पृश्य 3. 81. 66". कलश्यां वाप्युपस्पृश्य 13. 26. 41". कलहद्भिः परस्परम् 12.349*. 2 post. कलह कुर्वतेऽभीक्ष्णं 13. App. 15.2857 pr. कलह वर्जयेत्परैः 13. App. 15. 4570 posts कलहंसगणैर्जुष्टां 3. 155.859. कलहंसविनिर्घोषैः 13. 110. 62*. कलहंसांश्च सर्वशः 1. 60. 56. कलहान्तं तितीर्षवः 8. 16. 124. -670
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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