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________________ एंकस्तु धार्तराष्ट्रेभ्यः] महाभारतस्थ [एक तुल्यासुतेष्वपि एकस्तु धार्तराष्ट्रेभ्यः 7. 22. 27deg. . . एकस्तु न तथा राजन् 13. 42. 18. एकस्तु मे भीमसेनोऽद्य नाथः 8. App. 20. 19. . एकस्तु शब्दोऽविरतः 12. 323. 39". .. . एकस्तु सुखसंवृद्धः 7. 45. 80. एकस्तेनावधीद्वहून् 10. 17.64. एकस्त्वमसि मे शत्रुः 2. App. 28. 116 pr.. एकस्त्वं पाण्डवश्रेष्ठ 4. App. 39. 1 pr. एकस्थमनुपश्यति 6. 35. 30'. 12. 17. 22*. एकस्थस्तापयिष्यति 12. 218. 32. एकस्थं पश्य मूर्तिमत् 12. 326. 51". एकस्थं पितरं विदुः 12. 258. 40". एकस्थानेऽपि शङ्कते 12. 308. 145. एकस्थाः कुरुसत्तम 13. App. 9. 5 post. एकस्थाः सर्ववर्णास्ते 6. 1. 9"... एकस्थूणं नवद्वारं 12. 168. 49"... एकस्थैर्बहुभिः क्रुद्धः 7.74. 50deg. एकस्थौ तु रणे शूरी 6. 79.. 47. एकस्मा अपि भारत 12. 36. 12. एकस्मात्पुरुषाजायतेऽसच्च सञ्च. 5. 169*. 5. एकस्मादृक्षाद्यज्ञपात्राणि राजन् 5. 169*. 2. एकस्मिन्नन्नयो राजन् 2. App. 21. 1490A 1.pr. एकस्मिन्नपि विज्ञाते 4. 5. 11. एकस्मिन्नासने वीरौ 7. 59.6%. एकस्मिन्निहते दैत्ये 8. 240*. 1 pr. एकस्मिनिहतेऽभद्रे 13. App. 15. 2380 pr. एकस्मिन्नेव आचार्ये 12.61. 180. एकस्मिन्नेव जायेते 5. 3. 36. एकस्मिन्नेव तान्सर्वे 4. 481*. 1 pr. एकस्मिन्नेव ते सर्वे 4. 23.7% एकस्मिन्नेव पुरुषे 10. 3. 136. एकस्मिन्नेव राष्ट्रे तु 13. App. 15. 3986 pr. . एकस्मिन्ब्राह्मणे राजन् 15. 15. 10% एकस्मिन्भोजिते विप्रे 3.81. 56". .. एकस्मै कुरुनन्दन 2. 33. 26. एकस्य च प्रसादेन 12.59. 10. एकस्य च बहूनां च 1. 96. 19.4.917*. 44 pr. ; App. 58. 12 pr. 5.58..26deg3, 63. 15%, 122. 53deg. 6.70. 18%. 7. 38.3%3 64. 31deg3; 100.24", 26%3B App. 19. 3 pr., 14 pr. एकस्य चरतो मुनेः 12. 128. 28. एकस्य जयमाशंसे 12. 82. 11. एकस्य धर्मेण सतां मतेन 3. 281. 24. , एकस्य पुरुषस्य ते 12. 338. 24'. एकस्य बहुभार्यस्य 13. App. TA. 185 pr. एकस्य बहुमियुद्धं 7. 97.5. एकस्य बहुभिः सह 7. 45.1. एकस्य बह्वयो विहिताः 1. 187. 26". एकस्य भूतं भूतस्य 12. 224. 32deg; 232. 90. एकस्य मम धन्विनः 4. 56.7. एकस्य वा बहूनां वा 13. App. 15. 3375 pr. एकस्य विद्धि देवस्य 12. 271. 28*. एकस्य वेदस्याज्ञानात् 5. 43. 25%. एकस्य हि द्वौ हरतः 12. 67. 14. एकस्य हि न पर्याप्तं 7. 97.76. एकस्या देहशाखायाः 5. 103.23%.. एकस्याद्या प्रवृत्तिस्तु 12. 198. 17". एकस्यापि न पर्याप्तं 1. 840*. 4 pr. एकस्यापि न लक्षये 3. 54. 14. एकस्याप्यसमर्थस्त्वं 7. 133. 186. एकस्या बहुभर्तृता 1. 194. 8. . एकस्याय यो हन्यात् 7. App. 8. 786A 13 pr. एकस्याथै बहून्हत्वा 7. 165. 31". एकस्यां ते नराधिपाः 1.200.3. एकस्यां ये रताः पल्याम् 1. 194.6. एकस्यां संभविष्यति 3. 104. 154. एकस्यां संभविष्यन्ति 3. 104. 14. एकस्याः पुरुषव्याघ्र 12. 192. 95deg. एकस्यैकस्य वा रणे 8. App. 6. 14 post. एकस्यैका प्रदातव्या 3. App. 21A. 58 pr. एकस्यैव वयं तात 3. 233. 154. एकहंसे नरः सात्वा 3.81. 16%. एकहायनवत्सांश्च 3. 188. 27deg. एकं किं नावधीस्तदा 8. 28. 56". एकं कुरुकुलोद्वह 12. 338. ". एकं क्रीणासि पण्डितम् 2. 5. 24. एकं गोब्राह्मणं तस्मात् 13. 65. 40deg. एकं चक्रं वर्तते द्वादशारं प्रधि- 1. 3. 65". एकं च नो निहत्याजौ 9. 32. 13. एकं च भगवन्तं ते 8. 24. 41". एक चरन्तं समरेऽतिवेगम् 9. 16. 27'. एक च वासो मम मन्दबुद्धे 2. 60. 25*. एकं जग्राह पक्षिणम् 3. 50. 186. एक जानीहि पार्थिव 12. 153. 9". एक तत्त्वं विजानीयात् 6. App. 3. S 44. एकं तुल्यासुतेष्वपि 13. 47. 60*. -520 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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