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________________ अतोऽम्भः सर्वभूतानां ] महाभारतस्थ [अत्यन्तं पापकं स्मृतम् अतोऽम्भः सर्वभूतानां 14. App. 4. 868 pr. अतो यन्मन्यते धाता 12. 224. 48. अतो यमत्वं तव देव विश्रुतं 3. 281. 33. अतो राजन्ब्रवीमि ते 2. 20. 200. अतो राजर्षयः सर्वे 13. 117. 19". अतो राज्ञः प्रधानत्वं 3. 183. 27. अतो रात्रिश्च निद्रा च 5. 108.70. अतो राष्ट्रस्य शान्तिर्हि 13. 34. 20. अतोऽर्थकरमप्येतत् 5. 144. 19. अतो विद्वन्ननुयास्यामि पार्थं 8.26.54. अतो विद्वद्पादत्स्व 3. 96.5%. अतो विनिहताः सर्वे 7. 125. 286. भतो विरात्रागमनं 3.282. 32. अतो विशिष्टस्त्वधमः 13. 48.90. भतो विषममाचरम् 11. 14.34. भतो वेत्स्याम्यहं परम् 3. 165.74. अतोषयत्पाण्डवेयो हुताशं 8.57. 41". अतोऽस्मि देवेन्द्र विवर्णरूपः 14..9.74. अतोऽस्मि लोके वेदे च 6. 37. 18. अतोऽस्मि स्वयमागतः 3.281. 154. अतोऽहमपि वक्ष्यामि 4. 4. 6. अतोऽहं समुपस्थितः 12. App. 29E. 413 post. अतोऽहं त्वां प्रब्रवीमि 1. App. 22. 3 pr. अतोऽहं स्वां स्वयं नाद्य 1. App. 118.72 pr. भतो हास्यतरं लोके 1. 69. 14. भतो हि सर्ववर्णानां 12. 60. 396. अत्ता ह्यन्नमिदं विद्वान् 14. 25. 11". भत्ति चैव तथैव त्वं 3. 34. 69. भत्तुकामस्ततः शाखां 13. App. 1.A. 312 pr.. अत्तुकामस्ततो वीरः 13. App. 1A. 303 pr. अत्तुकामैस्तलत्रवान् 11. 19. 3. भत्तुमैच्छत्पुरा खलु 14. App. 4. 2573 post. भत्यक्ताहं त्वया ब्रह्मन् 1. 165. 29. भत्यकामत्स तथा संमतः स्यात् 5.32.22. भत्यक्रामत्स दुर्गाणि 3. 38. 29. भत्यकामद्धार्तराष्ट्र 12. 4. 11. अत्यकामनराधिप 1. 96. 42. भत्यकामन्महाराज 2. App. 37. 27 pr. भत्यकामन्महाराजः 14. 63. 6. भत्यगाभरतर्षभ 5. 82. 154. अत्यागाधमहागतेः 1. App. 117. 16A 4 pr. भत्यग्निपवनोज्वलैः 3. 267. 31. अत्यग्निसोमार्कमथार्कपुत्रम् 1. 1827*. 8. अत्यजभरतश्रेष्ठ 5. 172. 17. अत्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् 14. App. 4. 119 post. अत्य द्रुतमपश्याम 6. 86. 80. अत्यद्भुतमहं मन्ये 4. 1077*. 2 pr. 7. 108. 1". अत्यद्भुतमिदं कर्म 3. 46. 1". अत्यद्भुतमिदं कृष्ण 7. App. 18. 7 pr. अत्यद्भुतमिदं तात 7. 97.5". अत्यद्भुतमिदं पार्थ 8. 40. 123deg. अत्यद्भुतमिदं ब्रह्मन् 3. 206. 330.9. 46. 1". अत्यद्भुतमिदं मन्ये 7. 41. 9". 8. 56. 30. अत्यद्भुतमिदं मेऽद्य 3. 164. 37. अत्यद्भुतमिदं राजन् 3.70.22%. अत्यद्भुतमिवाभवत् 7. 24. 464. अत्यद्भुतं कर्म न दुष्करं ते 6. 106*. 9. अत्य द्भुतं चित्रमतुल्यरूपम् 8.882*. 4. अत्यद्भुतं महाप्राज्ञ 3. 39.5*. अत्यद्भुतं रणे कर्म 6. 109. 17. अत्यद्भुतानि कर्माणि 4. App. 49. 24 pr. 14. 59.6". अत्य द्रुतानि ते दृष्ट्वा 9. 60. 54". अत्यद्भुतेन विधिना 9. 29. 550. अत्यन्तगुरुभक्तानां 15. 14. 15. अत्यन्ततपसो दान्ताः 13. App. 18.94 pr. अत्यन्तदुःखिता कृष्ण 5. 88. 63. अत्यन्तपरमं स्थानं 6. App. 3. 8 pr. अत्यन्तभक्तिमान्देवः 12. App. 17B. 163 pr. अत्यन्तभक्तिमान्देवे 12. 334. 1. अत्यन्तभावं नष्टास्ते 4.24. 13. अत्यन्तभेदरहितं 14. App. 4. 1665A 1 pr. अत्यन्तमाश्रमः पुण्यः 3.88. 80. अत्यन्तवनवासाय 9. 202*. 3 pr. अत्यन्तवैरिणं दृप्तं 7.39. 150; 144.89. अत्यन्तवैरी पार्थानां 7. 134. 14. अत्यन्तशत्रुरस्माकं 7. 49.6%. अत्यन्तसुकुमारस्य 11. 20. 11". अत्यन्तसुखभागिनीम् 5. 11. 17t. 15. 29. 12. अत्यन्तसुखसंयुतम् 7. App. 8. 471A 3 post. अत्यन्तसुखसंवृद्ध 7. 45. 126. अत्यन्तसुखसंवृद्धः 7. 35. 4deg; 77.3". अत्यन्तसुखिनं देयं 13. 151*.8 pr. अत्यन्तं चान्नकाङ्ख्या 14. App: 4. 2438 post. अत्यन्तं द्वंद्वधर्मिणा 12. App. 29D. 206 post. अत्यन्तं पाण्डवान्प्रति 8:51. 58. अत्यन्तं पापकं स्मृतम् 13. App. 15. 2813 post.
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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