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________________ ऋत्विरिभः पुरुषर्षभः] लोकपादसूची [ऋध्यन्ते राज्ञि पाण्डवाः अस्विम्भिः पुरुषर्षभः 2. 30. 17. ऋविग्भिः सहितः सर्वैः 1. App. 118, 9145pr.; __App. 121. 20 pr. ऋविग्भिः सहितो धीमान् I. App. 118, 14A 1 pr.; App. 121. 10 pr. ऋविग्भिः सहितो भीष्मः 1. 96. 59. ऋविग्भिः सुनिवेशितम् 1. 47. 11'. ऋत्विग्भ्यश्च महीं ददौ 3. 117. 11'. ऋविग्भ्यः प्रददौ विद्वान् 14, 91.21. ऋविग्भ्यः प्रापिता मया 14.91, 114. ऋविग्भ्यः ससदस्येभ्यः 1. 53. 11'. ऋविभ्यो यजमानस्य 13. App. 14. 82 pr. ऋविग्वा यदि वाचार्यः 12. 81. 23. ऋत्विजश्च तथा प्रजाः 12.255. 10'. ऋस्विजन यथाशास्त्र 2. App. 29. 43 pr. ऋत्विजश्च समाहूताः 3. 241. 22. ऋविजश्चागतश्रमाः 1. App.31.5 post. ऋत्विजश्चात्र के प्रोक्ताः 12. 99. 14. ऋस्विजवानयध्वं वै 9. 34. 17. ऋत्विजस्तमपर्यन्तं 14. 91.23%. ऋत्विजस्तव तन्वन्तु 2. 50. 4. ऋस्विजस्तान्महीपतिः 1. App. 118. 14A 4 post. ऋविजस्तु विरोधिनः 12. App. 8. 50 post. ऋस्विज चैव संस्तरे 2. App. 21. 437 post. ऋविज नात्मना तुल्यं 12. 122. 15. ऋत्विजं मन्यसे कृष्णं 2. 34.09. ऋत्विज वसुझाधिपः 1. 47.. ऋस्विजः कुञ्जरास्तत्र 12. 99. 15*. ऋस्विजः परमर्षयः 1. 48. 1. ऋत्विजः सपुरोहितान् 3. 279.20.7. App.8. 448A. 6 post. ऋत्विजः स महीपतिः 1. App. 121. 16 post. ऋविजः समुपानयत् 2. 30. 33. ऋत्विजः स्युः पितामह 12. 80. 1. ऋत्विां स्म विधीयते 12. 80.2. ऋत्विजैः सहितो राजन् 3. 127. 11', ऋत्विजो नाभ्यपद्यन्त 1. App. 118.17pr. ऋतविजोऽनुनयामास 1. APP. 118. 20 pr. ऋत्विजोऽम्यागमिष्यामि 1. App. 118. 31pr. ऋविजो भ्रातरख ये 13. 153. 20*. ऋविजोऽस्य स्वामहे 1. 33. 25'. ऋखमबैर्गुणैर्युगम् 12. 41. 10*. ऋ गेहं सर्वकामैः 8. 29. 36. रहः साक्षसे यात्रा 13135,43', ऋद्धामिजनवृद्धानां 15. 44.7% ऋद्धिमत्तामरिंदमः 5. 129. 16. ऋद्धिमन्तं ततस्तस्य 3. 116.7. ऋद्धिमन्तं महानागं 3. 157. 14. ऋद्धिमन्तो महात्मानः 18. 5. 19". ऋद्धिमस्मासु तां दृष्ट्वा 12. 7. 250. ऋद्धिमस्यानुवर्तन्ते 12. 131. 8. ऋद्धिमान्सततं दाम्तः 2. App. 14. 16 pr. ऋद्धिमामोति किं कृत्वा 13. 100. 1. ऋद्धिमिन्द्रोपमा शुभाम् 12. 124. 13. ऋद्धिमोहेन मोहिता 12. 308. 68. ऋद्धियोगात्परान्नित्यं 13. App. 15. 2053 pr. ऋद्धिमोहयते नरम् 3. 178. 30deg; App. 20. 22 post. ऋद्धिर्वाप्यथ वा नर्द्धिः 12.217. 36deg. ऋद्धिवैश्रवणस्य च 13. 134. 3. ऋद्धिवैश्रवणस्य तु 13. App. 15. 4410 post. ऋद्धिं च वरवर्णिनि 5. 15. 191. ऋद्धिं च स कथं प्राप्तः 12.278. 4. ऋद्धिं दृष्ट्वा सुदेवस्य 12. 99.5deg. ऋद्धिं पाञ्चालराजस्य 1. 176. 27. ऋद्धिं हानि सुख दुःखं 13. App. 15. 2258 pr. ऋदे तपसि संयताः 5.43. 3. ऋद्धो भवाङ्योतिरिव प्रकाशते 3. 111.9*. ऋद्धो भवान्ब्रह्मचारी 1. 41. 12. ऋद्धो भवान्महाभागः 1. 41. 15. ऋख्यथै कुरुते यवं 2. App. 21. 1462 pr. ऋज्या गुणैः सुदाम्तांश्च 8. 309*. 4 pr. ऋख्या च वरुणं देवं 2. 32. 15*. ऋज्या चैवाप्यहंकृतः 13. 95. 68. ऋख्या परमया युक्तम् 1. 47. 11". ऋख्या परमया युक्तः 3.229. 13. ख्या परमया युतम् 3. 160.9%3; 259. 14. ऋख्या परमया युतैः 2. 32. 13. ऋख्या परमया सह 12.733*.1 post. ऋच्या प्रज्वलमानेषु 8. App. 6.87 pr. ऋख्या महत्तस्ताम्प 2.14. 11'. ऋड्या वैश्रवणं चाति 6. 99. 22. ऋड्या शक्रं योऽजयन्मानुषः सन् 12. 20. 14. ऋख्या सह विराजते 2. 110*. 1 post. ऋध्यतः प्रेक्ष्य सर्वशः 3. 181. 4. ऋध्यन्ते केन हेतुना 3. 92.24. ऋध्यन्ते गृहमेधिनः 13. 103. 4". ऋध्यन्ते राशि पाण्डवाः 11. 10. 10. भावज मन्यसल्य 12.1003437 post, पादसूची-64 -505 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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