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________________ उष्णीषैश्च तथा छिन्नैः] श्लोकपादसूची [ ऊचुश्चैनं वरमिष्टं वृणीष्वः उष्णीषैश्च तथा छिन्नैः 6. 92.71. उष्णीषैः किङ्किणीगणैः 7. 162. 450. उष्णेन बहुनावृतम् 14. App. 4. 232 post. उष्णेन बाध्यते शीतं 12. 16. 12. 14.12.3. उष्णे वा यदि वा शीते 4. 4. 39%; 120*. 26 pr. उष्य चैवाभिषिच्य च 13. 26. 286. उष्य तत्र यथाकामं 3. 228*. 1 pr. उष्यतामिह भारत 9. 50. 37d. उष्यतां मयि चेत्युक्त्वा 12. 193. 24deg. उष्यतां यावदुत्साहः 14.32. 11. उष्यतां स्वागतं चेति 12.2. 16. उष्य द्वादशरात्रं तु 3. 30. 59deg; 83. 25deg. उष्य द्वादश वर्षाणि 3. 80. 56". उष्य वासमनुत्तमम् 4.535*.6 post. उष्य सौवीरकन्यामिः 5. 132. 320. उष्यका रजनी तत्र 3. 82. 27deg; 409*. 1 pr. उस्रां जुष्टां मिषती विश्वतोयां 13. 27. 940. उह्यते सततं जगत् 12.227. 12'. उह्यन्तो वाजिमि तम् 1. 124. 24. उह्यमानमिवाकाशे 7. 18.56.8. App. 37.9 pr. उह्यमानश्च कृष्णेन 9. 3. 22. उह्यमानश्च तुष्टाव 9. 41. 28deg. उह्यमानं निमज्जन्तं 12. 307.86. उह्यमानं यदृच्छया 12. 254. 23. उह्यमानः स धर्मेण 13. 150. 9. उह्यमाना ययुः शीघ्र 3. 145. 11'. उह्यमाना रथावस्ते 8. 14. 190. उह्यमानास्तथा मेधैः 8.63. 436. उह्यमानास्तु ते राजन् 7. 18. 24deg. उह्यमानां यदृच्छया 3. 293. 3. उह्यमानोऽधिगच्छति 12. 227. 20. उह्यमानो नृपात्मजः 12. 321*. 1 post. उह्यमानो रणे तदा 7. 18.5. उह्यमानो हयोत्तमैः 7. 160*. 1 post. ऊचतुस्त्रिदशेश्वरम् 8. 63. 50'. ऊचतुः केशवार्जुनौ 7, 1200*. 1 post. ऊचतुः पाकशासनिम् 3. App. 4. 10. post. उचतुः प्रीतमनसौ 2. App. 21. 121 pr. उचतुः शासनातिगम् 5. 124. 1', 136". ऊचतुः समभिद्रुत्य 3. 123. 2. ऊचतू राजपुत्रीं तां 3. 123. 15. ऊचुरुद्विग्नमनसः 1. App. 14. 23A 1 pr. 2. 585*.2 pr. ऊचुरेकाग्रमनसः 12. 272. 33deg. उचुरेवं भयार्दिताः 7.77. 334. ऊचुर्जयं विराटस्य 4. 1058*.2 pr. उचुर्जहि मृगानिति 1. 57.37. उचुनिविदो वृद्धाः 3. App. 21A. 231 pr. उचुर्दिष्टया नृपाविघ्नात् 3. 243. 2. ऊचुर्देवाः समागताः 3. 559*.2 post. उचुर्देवाः सवासवाः 3.574*. 1 post, ऊचुर्द्विजातयो देवान् 12. 324.7. उचुनैतद्वचोऽस्माकं 12. 39. 31". अचुर्बहुविधा वाचः 2. App. 41. 10 pr. उचुर्वचनमव्यग्राः 5. 12.28. ऊचुर्वसुं विमानस्थं 12. 324. 14. ऊचुर्वाक्यमसंदिग्धं 12. 346. 4. अचुर्विगतसंत्रासाः 3. 1. 11'. ऊचुर्विप्रा युधिष्ठिरम् 1. 213.74'. अचुर्विस्मयमापन्नाः 1. App. 14. 23 (subst.) 1 pr. उचुर्वृतविनाशार्थ 12. 272. 29. उचुर्वेदोक्तया पूर्व 3. 136. 12. अचुवै शब्दशास्त्रज्ञाः 2. App. 29. 78 pr. ऊचुश्च का यूयमिति 13. App. 9A. 64 pr. उचुश्च कूर्मराजानम् 1. 16. 10deg. उचुश्च धर्मलुब्धास्ते 2. App. 22. 8 pr. अचुश्च पार्थ सर्वाणि 4. 764*. 3 pr. उचुश्च वाचः परुषाः 1. 181. 6". उचुश्च सर्पराजानं 1. App. 72. 2 pr.; App. 73. 61 pr. उचुश्च सर्वे देवेशं 5. 10. 6". ऊचुश्च सहितास्तत्र 1. 181. 27%. उचुश्चाथ महाभागं 9. 35. 41. उचुश्चापि त्वमस्माकं 3. 215. 18%. उचुश्चेदं गृहाणेदं 8. App. 2. 27 pr. ऊचुश्चैनमसंभ्रान्ताः 12. 323. 17". उचुश्चैनं खगा हंसं 2. App. 22. 2 pr. उचुश्चैनं तथैवायं 12. 160. 676. उचुश्चैनं वरमिष्टं वृणीष्व 1. 53. 186. उचतुर्यन्निबोध तत् 16. 4. 45d. उचतुश्च प्रभु देवं 1. 201. 18". ऊचतुश्च समाविष्टौ 12. 335. 60%. उचतुश्चापि यद्वीरौ 5.58. 2. उचतुश्चैव संहृष्टौ 2. App. 13. 18 pr. उचतुस्तां नृपात्मजाम् 3. 280. 15. . ऊचतुस्तौ क्षुधान्वितौ 12. 149. 1024. -495
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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