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________________ उद्रिक्तवर्णोऽप्युत वेह कञ्चित् ] महाभारतस्थ [उन्मज्जननिमज्जनात् उद्रिक्तवर्णोऽप्युत वेह कच्चित् 1. 184. 16. उद्रिक्तं च यदा सत्त्वं 14.39.8%.. उद्विक्तं च रजो यत्र 14. 39.7. उद्रेकव्यतिरेकाणां 14. 39. 5. उद्वपन्निव दृश्यते 5.59. 16. उद्वमच्चार्चिषो वह्नि 9. 329*. 1 pr. उद्बमद्रुधिरस्रवैः 7. 333*. 1 post. उद्वर्गोऽसीत्यथाचान्तः 14. App. 4. 1568 pr. उद्वर्तनादींश्च तथा 13. App. 10. 174 pr. उद्वर्तयन्दस्युसंघान्समेतान् 5. 47. 59". उद्वर्तयिव्यस्तव पुत्रसेना 6. 22. 11". उद्वहन्तं न चुक्षुभे 7. 150.684. उद्वहन्तः सतां धुरम् 4.27.6". उद्वहन्ति धुरं सदा 13. 136.81. उद्वहन्ति न सीदन्ति 13. 8. 4. उद्वहश्च तथोदानः 13. App. 7A. 264A 10 pr. उद्वहो नाम वर्षिष्ठः 12. 315. 40deg.. उद्वाहमकरोत्प्रभुः 1. 1131*. 9 post. उद्वाह्य राज्ञां तैयस्तं 1. 1941*.2 pr. उद्विग्नमीश्वर जगत्स्फुटतीव सर्वम् 7. 553*. 4. उद्विग्नरथनागाश्वं 7.79. 18. उद्विग्नवासं लभते 13. App. 15.2995 pr. उद्विग्नवासे वसति 13. 116. 34. उद्विग्नवासो विश्रम्भात् 3. 228. 15. उद्विग्नस्य कुतः शान्तिः 3. 222. 124. उद्विग्नः शापतस्तस्याः 1. 286*.2 pr. उद्विग्नः सततं यस्मात् 11. 21.7". उद्विग्ना चापि ते दृष्टिः 13. App. 20. 200 pr. उद्विग्नाः समरे योधाः 6. 472*. 1 pr. उद्विग्नाः सहसा कृत्स्नाः 12. 330. 51". उद्विग्नाः स्म भृशं सर्वे 3. 1. 19". उद्विग्ने सह संमय 2. 16. 36%. उद्विजन्ते स्म राजानः 2. App. 21. 893 pr. उद्विजन्ते हि तान्दृष्ट्वा 13. App. 15. 1931 pr. उद्विजेत तदैवास्याः 3. 222. 11. उद्विजेत्स तु वेदेभ्यः 3. App. 21A. 232 pr. उद्वीक्ष्य सुरथं रोषात् 9. 13. 38. उद्वृत्तनयनै रोषात् 9. 27. 11". उद्वृत्तनयनैस्तैस्तु 9.8. 20%. उद्वृत्तनेत्रः संक्रुद्धः 1. 1526*.2 pr. उद्वृत्तमिव सागरम् 5. 194. 4". उद्वृत्तस्य महाराज 6. 101. 17". उद्वृत्तं सततं लोकं 1. 402.2 pr. उद्वृत्तं सागरं यद्वत् 7. 622*. 1 pr. उद्वृत्तः सागरो यद्वत् 7. 679*. 2 pr. उद्वृत्तानां यथा शब्दः 6. 114. 17deg. उद्वृत्ताश्चैव सुग्रीवाः 12. 102. 17". उद्वृत्ता ह्यसुराः केचित् 3. 45. 220. उद्वृत्तोर्मिदुरासदम् 1. 19. 10%. उद्वृत्त्य चक्षुषी कोपात् 6. 94. 34. उद्वृत्त्य नयने क्रुद्धः 9. 31. 42. उद्वेगजननः सदा 13. 133. 34. उद्वेगमगमत्परम् 11.5.. उद्वेगवासनिरताः 13. App. 15. 1924 pr. उद्वेगश्चापि सर्वशः 12. 17.1. उद्वेगस्तव कस्मात्तु 14. App. 4. 3279 pr. उद्वेगं चैव कृष्णायाः 4. 14. 4.. उद्वेगं नेहते किंचित् 12. 275. 40. उद्वेगः शूद्रलङ्घनात् 14. App. 4. 3331 pr. उद्वेगो जायते नित्यं 13. App. 15. 4089 pr. उद्वेजनार्थ शेषाणां 13. App. 15. 2147 post. उद्वेजनीया भूतानां 12. 261*. 4 pr. 13. 116. 32. उद्वेजनीयो भूतानां 1. 166. 32". 2. App. 21. 1035 pr. उद्वेजनेन बन्धेन 12.259. 13. उद्वेजयति भूतानि 13. 138. 399. 14. 94. 286. उद्वेजयति याचन्हि 13. 59. 4. उद्वेजयति लोकं चापि 12. 56. 43. उद्वेजयेद्धनैर्ऋद्धान् 12. 86. 19. उद्वेपते ते हृदयं 5.73. 180. उद्वेपते मे हृदयं 3. 58. 24". 5. 50. 11. उद्वेपमानैः पतितैः पृथिव्याम् 8. 68. 19. उद्वेमुर्नृपसत्तम 9. 57.55. उद्वेष्टन्ति विचेष्टन्ति 7.64. 476. उद्वेष्टन्ते विवेष्टन्ते 8. 36. 24.9. 8. 17. उद्वोढुं पश्य वासव 3. 10. 13t. उध्वस्ता इव भस्मना 7. 1341*.8 post. उन्नतांसाः पृथुग्रीवाः 12. 102. 16. उन्नतेषून्नता षट्सु 5. 114.2*. उन्नत्यका माहिषकाः 6. 10. 57. उन्नमन्ति यथा सन्तं 12.285.26. उन्नमय्य शिरोग्रीवं 7. 1009*. 18 pr., 22 pr. उन्नाटमभितो जिग्ये 2. 27. 5. उन्नाम्य वक्त्राणि तदा 7. App. 16. 17 pr. उन्मजब्शशलक्षणः 9.34.676. उन्मजति हि कालस्य 12. 306. 73. उन्मजननिमज्जनात् 11. 3. 16. -462
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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