SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 451
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उस्कोननपराश्चैव ] श्लोकपादसूची [उत्ततार रथातूण उत्कोचनपराश्चैव 13. App. 15. 2089 pr. उत्कोचिनां मृषोकीनां 7.51.31. उत्कोचैर्वञ्चनामिश्च 12. 56. 51. उत्क्रम्य सर्वाणि वसूनि तत्र 1. 186. 14. उत्क्रम्य सुहृदां वचः 5. 126. 20. उत्क्रम्यान्यत्प्रपद्यते 12. 119. 24. उत्कष्टव्याः क्षत्रियरेष धर्मः 12. 65. 12. उत्क्राथिनी जरेणा च 9. 45. 156. उत्क्रामति च मार्गस्थः 12. 189. 20deg. उत्क्रामद्भिश्च यः प्राणैः 13. 27.690. उत्क्रामन्तं स्थितं वापि 6. 37. 10. उत्क्रुश्य चाब्रवीद्वाक्यं 7. 38. 236. उत्क्रुश्याभ्यद्रवन्ाजन् 7. 41. 20deg. उत्क्रुष्टसिंहनादैश्च 6. 95. 42".. उत्कुष्टेऽमिपतत्सु च 12. 98. 18*. उत्क्रोशकवचानि च 2. App. 21. 1305 post. उत्क्रोशत्क्रौञ्चकुरैः 13. App. 15. 181 pr. उत्क्रोशन्तो महारथाः 3. 167.2%. उत्क्रोशबर्जुनश्चैव 7. 165. 51. उत्क्रोशं पङ्कजं चैव 9. 44. 32". उत्क्लेदात्सुसुवे यतः 12. 29. 116. उत्क्षिप्तगुल्मैश्च तथा 3. 16. 11. उत्क्षिप्तभूर्विवृत्ताक्षः 3. 147. 19%. उत्क्षिप्तः स तु नागेन 1. App. 72. 80 pr. उत्क्षिप्य उद्राम्य च तूर्णमेनं 8. App. 32. 15A9. उत्क्षिप्य काकतालीयं 12. 171. 11'. उत्क्षिप्य च तदा नागैः 1. App. 73. 117 pr. उत्क्षिप्य चावधूयैनं 1. App. 93. 14 pr. उत्क्षिप्य चोरिक्षप्य च तूर्णमेनम् 8. App. 30. 46. उत्क्षिप्य तुरगान्द्विपाः 6. 44. 27. उत्क्षिप्य भ्रामयद्राजन् 2. 22.50. उत्क्षिप्य राजन्स्वगृहानिहरन्ति 5. 40. 14. उत्क्षिप्य हस्तेन तदा महाद्विपः 9. 19. 17. उत्क्षिप्यान्योन्यरोषेण 1. 1537*. 5 pr. उत्क्षिप्याभ्रामयदेहं 1. 142. 24deg. उत्क्षिप्याभ्रामयदली 1. 192. 3. उत्खाय तरसाखिलान् 1. 1537*. 4 post. उत्खायादाय वैरिणौ 1. 1537*. 9 post. उत्तङ्क इति भारत 3. 192. 8. उत्तकमब्रवीत्तात 14.57. 28deg. उत्तङ्कमब्रवीद्विष्णुः 3. 192. 20deg. उत्तङ्कममितौजसम् 14. 52.74 उत्तङ्कमेवमुक्त्वा तु 3. 192.29. उत्तङ्कवाक्यहविषा 1. 3. 193. उत्तङ्कविप्रसहितः 3. 985*. 1 pr. उत्तङ्कश्चित्रभानुना 14.57. 44deg. उत्तश्चैनमब्रवीत् 14.54. 224. उत्तङ्कस्तं तथा दृष्ट्वा 14.54. 21". उत्तङ्कस्तु तथोक्तः सः 14. 56. 19%. उत्तङ्कस्तु महाराज 3. 192.90. 14.55. 280. उत्तङ्कस्तोयकाङ्क्षया 14.54. 14. उत्तकस्य नियोगेन 3. 195. 12. उत्तङ्कस्य प्रियं कुर्वन् 1. 46. 41". उत्तस्याश्रमाभ्याशे 3. 195.9. उत्तङ्कस्यैव सांनिध्ये 1. 3. 194". उत्तङ्कस्योपवर्णितम् 1. 2.72%. उत्तर कौरवश्रेष्ठ 3. 194. 1. उत्तवं जनमेजय 14. 56. 204. उत्तवं परया प्रीत्या 14.55. 6deg. उत्तर प्रियमानसः 14. 55. 14. उत्तरं श्लक्ष्णया वाचा 14.54. 24deg. उत्तक्तः काष्ठभारं च 14.55.89. उत्तङ्कः केन तपसा 14.55. 10. उत्तङ्कः प्रत्युवाचैनं 14.52. 19. उत्तङ्कः प्राञ्जलिर्वने 3. 192. 239. उत्तङ्कादशृणोत्तदा 1. 3. 1954. उत्तङ्काय महात्मने 3. 194.5t. उत्तङ्काय वरं दत्त्वा 14. 58. 10. उत्तङ्कायामृतं देहि 14.54. 26deg. उत्तकेन च धीमता 3. 195. 324. उत्तरून महात्मना 3. 192. 20. उत्तङ्केनापराजितः 3. 194.1. उत्तङ्केऽभ्यधिका प्रीतिः 14. 55. 4. उत्तको जनमेजयम् 1. 3. 1784. उत्तको नाद्य दृश्यते 14.55. 32. उत्तकोऽपि वने शून्ये 14.55. 35deg. उत्तको ब्राह्मणर्षभः 14. 55. 31'. उत्तको ब्राह्मणश्रेष्ठः 14. 52. 9. उत्तको भरतर्षभ 14.57. 56. उत्तको भुजगोत्तमान् 1. 208*. 1 post. उत्तङ्को महता युक्तः 14. 55. 20. उत्तङ्को झभवत्तत्र 1. 435*. 1 pr. उत्ततार ततः पाशः 1. 167.6". . उत्ततार नदी गङ्गां 1. 1499*. 1 pr. उत्ततार रथातूणे 4. App. 42. 19 pr. -443 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy