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________________ अञ्जोगतिमयस्मयम् ] श्लोकपादसूची [अत ऊर्ध्वमुदाहृतम् अञ्जोगतिमयस्मयम् 8. 8. 34. अटता तु सदा देशान् 8. 30. 520. अटने च प्रयोजनम् 3.89. 34. अटन्त्या मिथिलेश्वरः 12. 308. 8. अटन्भैक्षं न विन्दामि 12. 139. 49. अटमानस्ततो.योध्यां 3.57.22. अटमानः कदाचित्सः 1. 13. 11". अटमानावितस्ततः 3.59. 4. अटमानोऽथ तान्मार्गे 13.94. 124. अटमानौ महात्मानौ 3. 51. 11'. अटवी च मया दूर 4. 143*. 6 pr. अटवी पर्वताश्चैव 13. 65. 34". अटवीबलं भृतं चैव 15. 12. 7. अटवी राबराश्चैव 6. 10. 46. अटवी वपरः कार्यः 12. 87. 30deg. अटवीं दैवमोहितः 13. 12. 17. अटवी श्वापदावृतम् 3. App. 10. 22 post. अटव्यायतनेषु च 13. App. 20. 453 post. अटव्यां च सुघोरायां 13. 12. 186. अटव्यां दुर्गकान्तारे 4. App. 4D. 63 pr.; 4F. 65 pr.; ___4G.79 pr. अटव्यां निर्जने वने 1. 46. 26. अट्टमन्नमिति प्राहुः 3. 922*. 1 pr. अदृशूलप्रहरणे 6. App. 1. 13 pr. अदृशूला जनपदाः 3. 186. 360 ; 188. 51". अट्टहासे कोकमुखे 6. App. 1. 16 pr. अट्टाहालकसंबाधं 15. 9. 169. अट्टैर्महद्भिः संयुक्तं 13. 110. 51". अणकैश्च शिलाधौतैः 8. 14. 154. अणिमादिगुणोपेतं 12. 127*. 3 pr. अणिमा महिमा चैव 13. App. 15. 4307 pr. अणिमा लघिमा प्राप्ति 12. App. 29C. 87 pr. अणिमा लधिमा प्राप्तिः 12. 291. 156; 300. 13. 13. 15. 42% App. 3. 272pr. 14.40.5%. अणिमा लघिमा भूमा 13. App. 11. 255 pr. अणीकृत्वैलपत्रं च 7. App. 25.5 pr. अणीमाण्डव्य इति च 1. 101.21". अणीमाण्डव्य इति वै 1.57.77. अणीमाण्डव्यशापजा 1.2.81". अणीपरूपं क्षुरधारया तत् 5. 44. 22. अणीयसामणीयांसं 7. 172.56%. 12. 47. 15% अणीयान्क्षुरधारायाः 5. 204*.2 pr. 12.252. 129. अणुमात्रेण वपुषा 5. 16. 12. अणुररप्यपचारश्च 3. 154. 12. अणुहच्छिरा भूत्वा 3. 163. 280. अणुर्वृहत्कृशः स्थूल: 13. 135. 1030. अणुर्वृहत्पुनः स्थूलः 7.561*. 1 pr. अणु वा यदि वा स्थूलं 13. 8. 15. अणुस्थानेषु विन्यस्ताः 7. 253*. 1 pr. अणूनि सुमहान्त्यपि 3. 43. 300. अणोरणीयान्सुमनाः 5. 45. 28t.. अणोरणीयांसमनुस्मरेद्यः 6. 30.9. अणोरणीयो महतो महत्तरं 12. 232. 338. अण्डजं चापि मे जन्म 12. 335. 300. अण्डजा जन्तवो ये च 14. 36. 24". अण्डजातं तु ब्रह्माणं 13. 138. 16". अण्डजानां च दिव्यानां 13. App. 4. 39 pr. अण्डजानि विजानीयात् 14. 49.20deg. अण्डजा भीम तस्यान्ये 2. 38. 324. अण्डजाश्च जरायुजाः 12. 160. 20. अण्डजाश्चापि संयोगात् 13. App. 15. 2400 pr. अण्डजे जन्मनि पुनः 12. 336. 40. अण्डजोद्भिजसंस्वेद- 14. 42. 190. अण्डभक्षणमशुचि ते 2. 38. 40deg. अण्डमाकाशमापूर्य 13. App. 5. 16pr. अण्डमेकं बिभेद ह 12. App. 17C. 141 post. 13. App. 1A. 43 post. अण्डमेतज्जले न्यस्तं 5.97. 174. अण्डश्च बहिरण्डश्च 13. 155*. 13 pr. अण्डस्य तु युधिष्ठिर 2. App. 21. 352 post. अण्डस्वेदजरायुजाः 6. 5. 100. अण्डं जातं न चोपति 3. 133. 26; 297. 43. अण्डं बिभेद विनता 1. 14. 15. अण्डाकारः समाश्रितम् 12. App. 17C. 140 post. अण्डाद्भिन्नाद्वभुः शैलाः 13. 138. 16. अण्डानां दशतीर्दश 1. 14.12. अण्डानि बिभ्रति स्वानि 1. 68.510. अण्डाभ्यां विनतायास्तु 1. 14. 14. अण्डायाण्डधराय च 12. App. 28. 180 post. अण्डावरणभूतानां 12. 504*. + pr. अण्डे द्वे विनता चव 13. App. 1A. 37pr. अण्डेभ्यस्त्वथ पुष्टेभ्यः 12. 253. 270. अत ऊर्ध्वममात्यानां 12. 84, 160. अत ऊर्ध्वमिदं प्राहुः 1. 2. 191". अत ऊर्ध्वमुदाहृतम् 13. App. 15.897 post. पादसूची-5 -33 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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