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________________ अज्ञानतमसावृतः] महाभारतस्थ [अञ्जोगतिभिराहवे अज्ञानतमसावृतः 13. App. 15. 1581 post. अज्ञानतस्तत्र पतन्ति मूढाः 12. 194. 14. अज्ञानतः कर्मयोनि भजन्ते 12.306. 88. अज्ञानतिमिरादित्यं 13. 603*.9 pr. अज्ञानतिमिरान्धस्य 1.66*. pr. 18.62*. pr. अज्ञानतिमिरान्धे का 1. App. 3. 23 pr. अज्ञानतुल्यः पुरुषस्य राजन् 12. 286.28. अज्ञानतृप्तो विषयेषु 12. 197.50. अज्ञानप्रभवं तमः 12.270. 11. अज्ञानप्रभवं नित्यं 12. 205. 18. अज्ञानप्रभवं हीदं 12. 153.. अज्ञानप्रभवो मोहः 12. 411*. 1 pr. अज्ञानप्रभवो लोभः 12. 412*. 1 pr. अज्ञानबन्धनान्मुकाः 13. App. 11. 359 pr. अज्ञानमपि वै तात 12. 153. 1. अज्ञानमेतन्निर्दिष्टं 12. 153.7deg. अज्ञानरूढमूलस्तु 13. App. 15. 4019 pr. अज्ञानसागरं घोरं 13. App. 11. 360 pr. अज्ञानसागरो घोरः 12.296. 490. अज्ञानस्य प्रवृत्तिं च 12. 153. ". अज्ञानं चातिलोभश्चापि 12. 153. 9. अज्ञानं चाभिजातस्य 6. 38. 4. अज्ञान चैव बुद्धिजम् 13. App. 15. 2432 post. अज्ञानं चैव रागश्च 13. App. 11. 478 pr. अज्ञानं तमसः फलम् 6. 36. 16. अज्ञानं यदतोऽन्यथा 6. 35. 11". अज्ञानाच्छ्रद्दधानता 12. 301. 27d. अज्ञानाज्ज्ञानतो वापि 3. 81.1230. 13. App. 15. 1050 pr.; App. 20. 280 pr. अज्ञानाज्ज्ञानहेतुत्वात् 12. 140.21. अज्ञानात्तशमाप्नोति 12. 153.3. अज्ञानात्तदपि त्वया 13. 69. 22. अज्ञानात्तन्न दूषकम् 12.35. 29deg. अज्ञानात्तां पुरी नृपाः 2.28.226. अज्ञानात्तु कृतां हिंसां 12.280. 124. अज्ञानात्परमेश्वर 13. 14. 165%. अज्ञानात्परिपृच्छामि 12.298.74. अज्ञानात्पितरं हत्वा 3. 668*.2 pr. अज्ञानात्संप्रवृत्तस्य 3. 178. 396. अज्ञानात्स्खलिते दोषे 12.36. 41. अज्ञानादपकृप्यते 12.208.210. अज्ञानादभ्यवस्कन्ध 4.44. 189. अज्ञानादस्मि कारितः 12.9.294. अज्ञानादिति मन्यते 13. App. 11. 218 post. अज्ञानादिव भारत 14.2.204. अज्ञानादृषिसत्तम 1. 101. 18. अज्ञानाद्धि कृतं पापं 12.280.6". अज्ञानाद्धि क्षिपन्बाणान् 8. 373*.2 pr. अज्ञानाद्वालया यत्ते 3. 122.21. अज्ञानाद्राह्मणं हत्वा 13. 6. 370. अज्ञानाद्यत्कृतं पापं 13.50. 230. अज्ञानाद्वा भयाद्वापि 5. 125. 24. अज्ञानाद्वापि वर्णानां 13. 48. 1. अज्ञानान्निरयं याति 12. 153. 30. अज्ञानान्मूढवब्रह्मन् 7. 165. 30%. अज्ञानान्मे पिता चेति 1. App. 47. 10 pr. अज्ञानाय च यो ज्ञान 12. App. 17B. 152 pr. अज्ञानां कर्मसङ्गिनाम् 6. 25. 26deg. अज्ञाने ज्ञानमानिता 14. 36. 14. अज्ञानेन समायुक्तः 13. App. 11. 322 pr. अज्ञानेनावृतं ज्ञानं 6. 27. 15. अज्ञानेनावृतो लोकः 3. 1383*.7 pr. 12. 288. 40%. [अ]ज्ञापयत्स्वं प्रयोजनम् 14.56. 194. अज्ञायन्त परस्परम् 7. 19. 31. अज्ञायमानः कंसेन 2. App. 6. 58 pr. अज्ञायमाना गृह्णन्ति 3. 219. 31. अज्ञायमानापि सती 3. 66. 16%. अज्ञायमाने च मते परस्य 5. 1. 23. अज्ञायमानैर्भवतां समीपे 5. 1. 12. अज्ञायमानो हीनत्वे 12. 69. 156. अज्ञेषु हतबुद्धिषु 12. 259. 224. अज्ञो जन्तुरनीशश्च 12. App. 1. 25 pr. अज्ञो जन्तुरनीशोऽयं 3. 31. 27. अज्येष्ठमकनिष्ठं च 12. 220. 102. अज्येष्ठः स्यादभागश्च 13. 108.7. अञ्जनस्य कुले जाताः 7. 97.24. अञ्जनस्य कुलोद्भवाः 7.87. 33. अञ्जनं दन्तधावनम् 13. 107.21%; App. 15. 827 post. अञ्जन रोचनां चैव 13. 124. 176. अञ्जनो वामनश्चैव 6. 60. 51". अञ्जलिस्नानमुत्तमम् 13. App. 15. 4669A 1 post. अञ्जलिं मूर्ध्नि संधाय 5,58. 13. 14. App. 4. 3417 pr. अञ्जलिं शपथं सान्त्वं 1. App. 81. 135 pr. 12. 138. 17. अञ्जसा शरवर्षिणौ 6. 405*. 4 post. अञ्जोगतिभिरायम्य 8. 17.254. अञ्जोगतिभिराहवे 7. 114. 374. -32
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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