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________________ भारणेयस्तथा दिव्यं ] लोकपादसूची [आराधयितुमीहव भारणेयस्तथा दिव्यं 12. 311. 21". आरणेयस्तु शुद्धात्मा 12. 312. 41". भारणेयं च रैभ्यं च 13. App. 7A. 6 pr. भारणेयं ददुस्तस्मै 3. 298. 26deg. भारणेयो विशुद्धात्मा 12. 314. 25*. भारण्यकपदोद्गीताः 12. 323. 10. आरण्यकं च वेदेभ्यः 1. 68*. 1 pr. 12. 331. 3. आरण्यकं जगौ देवः 12. 326. 8deg. भारण्यकं महाराज 15. 25. 13. आरण्यकान्प्रव्रजितान् 12. 133. 8". भारण्यकेन विधिना 12. 126. 24deg. आरण्यकेन सहित 12. 336. 28". आरण्यकेभ्यो लौहानि 3. 31. 12. आरण्यकैः सैष कृष्णः प्रभुत्वात् 13. App. 1. 123. आरण्यकोपनिषदि 14. App. 4. 423 pr. भारण्यफलभोजिनाम् 13. 101*. 4 post. भारण्यानां पशूनां च 13. 14. 1570. आरण्यानां मृगाणां च 3. App. 25.5 pr. भारण्यानि तथा ग्राम्यान 3. 1049*. 2 pr. भारण्यान्सर्वदैवत्यान् 1. 109. 14. भारण्या बहुसाहस्राः 2. 49. 3deg. आरण्याः सर्वदैवत्याः 13. 116. 56deg ; 117. 17". भारण्येयं ततः पर्व 1. 2. 480. आरण्यैः पशुभिः सह 12.29. 37. भारण्यैः सह संहृष्टाः 2. App. 28. 110 pr. मारनालं हि पास्यामि 4.653*.2 pr. भारनालेन जीविष्ये 4. App. 35.2 pr. आरब्धव्यमिदं कर्म 3. 37. 6. आरब्धव्यं विजानता 13. App. 15. 2513 post, आरब्धः सहितस्त्वया 7. 168. 12. आरब्धान्येव कार्याणि 12. 57. 320. आरब्धान्येव पश्येरन् 1. App. 81. 164 pr. आरब्धापि महाराज 2. 429*. 1 pr. आरब्धावुग्रशासनौ 1. 202. ". आरभध्वं कथंचन 3. 228. 12. भारभन्तात्मकारणात् 13. App. 15. 2537 post. आरभन्तीं तदा दृष्ट्वा 1. 948*. 1 pr. आरभन्ते तदा कर्तुं 13. App. 15. 1656 pr. आरभन्ते पुनर्धर्म 13. App. 15. 1648 pr. आरभन्ते सदा पार्थाः 6. 61. 15deg. आरभेत तदा कर्म 13. App. 15. 1511 pr. आरभेत यथाविधि 13. App. 15.3504 post. भारभेदिति वैदिकम् 12. 260. 15. भारभ्यन्त तदा क्रियाः 1. 94. 15. भारभ्यन्ते भीमसेन 3. 37. 4. भारभ्य शंतनोर्जन्म 12. App. 5. 11 pr. आरम्भयज्ञानुत्सृज्य 13. App. 3A. 569 pr. आरम्भयज्ञाः क्षत्रस्य 12.224. 61deg3; 230. 12". भारम्भस्त्रिदशेश्वर 3. 135. 39. भारम्भः सफलो देवि 1. 27. 26deg. आरम्भाच्चैव युद्धानां 7. 158. 30%. आरम्भादपि चैकतः 12. 583*. 2 post. आरम्भान्द्विषतां प्राज्ञः 12. 120. 47. आरम्भा भरतर्षभ 5. 122. 32. भारम्भास्तस्य सिध्येरन् 12. 215. 18. आरम्भा हिंसया युक्ताः 13. App. 15. 1088 pr. आरम्भांश्चास्य महतः 12. 106. 150. आरम्भेऽदोष उत्तमः 12. 260. 16. आरम्भे पारमेष्ठ्यं तु 2. 14.59. आरम्भो न्याययुक्तो यः 3. 198. 720. भारम्भोऽप्सु कृतस्त्वया 9. 30. 16. आराच्छृङ्गमुपस्थाय 1. App. 115. 36 pr. आरात्तिष्ठत मा मह्यं 1. 158. 11". आरात्तिष्ठन्तमाशुगम् 1. 57. 42. आरात्सौमित्रिणा सह 3. 264. 374. आरादायान्तमभ्येत्य 7. 43. 89. आरादृष्ट्वा किरन्बाणैः 7. 24. 5. माराद्धिर्नामयश्चैव 13. 4. 576. आराधनसुखाश्चापि 13. 24. 93. भाराधय गुरुं मम 1. 72. 15'. आराधयतु देवेशं 9. 218*.2 pr. आराधयन्तो राजानं 4. 12.26. आराधयन्तौ शौचेन 3. 1236*.7 pr. आराधयन्त्याः कौरव्यान् 3. 222. 55. आराधयन्नुपाध्यायं 1.71. 21. आराधयन्प्रयत्नेन 1. App. 79. 154 pr. आराधयन्महादेवं 1. App. 118. 42 pr. 12. 310. 16. आराधयन्स्वर्गमिमं च लोकं 12. 28. 55. आराधय शुचिस्मिते 1. App, 46. 56 post. आराधयस्व राजेन्द्र 1. 1273*. 10 pr. आराधयं सत्यभामां 4. 8. 17". . आराधयामास च तं 13. 137. 6. आराधयामास तदा 1. App. 100.8 pr. आराधयामास भवं 13. 14. 68. .. आराधयितवाश 8. 24. 1390. आराधयितुमीहस्व 1. App. 55. 107 pr.... पादसूची-44 -345
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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