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________________ भापृष्टो मेऽसि कौन्तेय] श्लोकपादसूची ... [आप्यायत वृकोदरः आपृष्टो मेऽसि कौन्तेय 3. 38. 24%; 153*. 32 pr.. आपृष्टोऽसि महाबाहो 5. 81.72". . आपृष्टोऽसि व्रजाम्यहम् 3. 185. 32. आपृष्टोऽसीह कौन्तेय 2. 69. 200.. आपृष्ट्वा गन्तुमिच्छामि 15. 29*. 1 pr. आ पृष्ठतापाच्च तदा 1. App. 43. 30 pr. आ पृष्ठतापाजवा सः 5. 142.30". आ पृष्ठतापात्स्वाध्याये 13. 32. 14. आ पृष्ठतापादादित्यम् 1. 104. 16. आपेततुर्महावेगौ 7. 14. 270. आपे विद्राव्य धावन्तं 3. 1218*. 2 pr. आपोऽग्निमनलोऽनिलम् 12. App. 17B. 106 post. आपोऽग्निर्मारुतश्चैव 12. 177. 39. आपो ज्योतिर्मनस्तथा 13. 112. 250. आपो ज्योतिश्च पञ्चमम् 12. 187.43; 217.17; 298. 11%; 299.94; 326. 32deg; 327. 27deg; App. 29C. 99 post. ; App. 29D. 71 post. 13. 2.72%; 112. 20deg; App. 3. 285 post. ; App. 3A. 89 post., 403 post. 14.20.23; 42. 1. आपो ज्योतिश्च पञ्चमः 5.77*. 4 post. आपो ज्योतींषि चन्द्रमाः 7. 1466*. 4 post. आपोऽथ अद्यः सलिलस्य मध्ये 5. 45. 36. आपोऽथ पृथिवी तथा 12. 291. 24. आपो देवगणाः सर्वे 1.7.8". आपो द्यौः पृथिवी वायुः 1. 1. 34. आपो नष्टाः पुराभवन् 13. 14. 64.. भापो नारा इति प्रोक्ताः 3. 187. 30. 12. 328. 350. आपो नारास्तत्तनवः 3. App: 27.25 pr. आपो नित्यं प्रदेयास्ते 13. 67. 20%. आपो बहुविधास्तथा 2. 49. 86. . आपो ब्रह्म गुरुर्ब्रह्म 12. 26. 17deg.. . आपो भूत्वा मज्जयते च सर्व 13. 143. 33. आपोमयाः सर्वरसाः 1. 171.18". आपो मूर्तास्तथा क्षितिः 12. 180. 10. आपो मूर्तिः शरीरिणाम् 12. 180. 22. आपो मूलं घृतं पयः 14. App. 4. 2400 post. आपो मूलं फलं चैव 15. 33. 35deg. आपो मूलं फलं तथा 15. 61*. 3 post. आपो मूलं फलं पयः 5.39. 56". आपो मूलं फलं मांसं 13. 88. 15. आपो वायुर्नभश्चन्द्रः 13. 86. 16. आपो वायुश्च तेजश्च 6. 63. 30. आपो वायुं च संश्रितम् 12. 224. 404. आपो वायुः शतक्रतुः 13. 1. 48. आपो वै नरसूनवः 12. 328. 350... आपो हि ष्ठेति तिसृभिः 14. App. 4. 1546 pr. आपो हि ष्ठेति संगृह्य 14. App. 4. 3204 pr. माप्तवान्दृष्टमात्रतः 1. 1706*. 1 post. आप्तवान्दृष्टमात्रया 1. App.79. 147 post. आप्तं ते पुरुषोत्तम 2. 22. 334. आप्तमन्यो नये रतः 12. 118. 194.. आप्तः कोटनकश्चैव 1. 31. 80.5: 101. 12. आप्तः परमकल्याणः 2. App. 21. 411 pr. आप्ताचरितमित्येव 12.37. 37deg.. आप्तादाप्ततराद्विप्रात् 2. App. 21. 388 pr. आप्तान्धर्मार्थकोविदान् 1. App. 81. 15A 6 post. आप्तुमाप्तं तथापीदं 5. 481*. 1 pr. आतैरलुब्धैः क्रमिकैः 2. 66*. 1 pr. आप्तैराशु परिज्ञातं 7. 12. 2". आप्तैर्मनुष्यरुपचारयेत 12. 104. 40. आप्तैस्तुष्टैश्च सततं 12. 116. 19deg. आप्तैः सह चिकित्सकैः 1.96.58. आप्तैः संचयतत्परैः 12. 116. 20. आप्तो दूतः संजय सुप्रियोऽसि 5. 30. 4. माप्तो नः संजयस्तात 5. 67.69. आप्तो राजन्कुलीनश्च 12. 120. 480. आप्तो विवादः परमो विशां पते 4. 6. 12. आमुते मतिमान्नरः 13. 121. 184. आनुयादिति नः श्रुतम् 12. 305. 2. आमुयाद्राजपूजितः 14. App. 4. 1029 post. आमुवन्ति च तेऽनघ 13. 80. 171. आमुवन्ति तपश्चैव 13. 85. 490. आमुवन्ति तपःफलम् 13. 130. 24*. आनुवन्ति मनीषिणः 12. 291. 11t. आनुवन्ति युधिष्ठिर 3. 33. 4. आमुवन्तीति नः श्रुतम् 14. 20:49. आमुवन्तीह च श्रियम् 3. 198.84. आमोति पुरुषर्षभ 3. 82. 1164. आमोति भरतर्षभ 3. 82. 117d. आप्नोति विनियोजनात् 13. App. 11. 200 post. मामोमि सफलाल्लोकान् 1. 2140*. 1 pr. आप्यायत महातेजाः 3. 162. 96. आप्यायत वृकोदरः 2.251*.2 post. . आपो येन हि युज्यन्ते 12. 332.7'.. आपो रसातले यास्तु 13. 84. 44. पादसूची-43 -337 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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