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________________ आकर्षन्ती मुहुर्मुहुः] श्लोकपादसूची [ आकाशं ग्रसतेऽऽत्मना आकर्षन्ती मुहर्मुहुः 1. 2009 *. 1 post. आकर्षन्निव चाभासि 5. 110.7. आकर्षस्तेऽवाक्फलः कुप्रणीतः 2. 56. 6. आकर्षः कुन्तलश्चैव 2.31. 11. आकर्षान्मण्डलीभूतं 7. 114. 34. आकर्षेतां तथान्योन्य 2. 21. 14. आकल्पपरिचर्या च 3. App. 21A. 50 pr. आकाङ्कतां दर्शनमर्जुनस्य 3. 161. 14. आकाक्षन्ते च दौहित्रान् 1. 147.6". आकाङ्क्षनात्मनो हितम् 12. 83. 21". आकाङ्क्षमाणाः शुचयः 13. App. 3A. 437 pr. आकाङ्क्षायामुपेक्षायां 13. App. 2. 42 pr. आकाङ्क्षार्थस्य संयोगात् 5. 291*. 1 pr. आकारच्छादनार्थ तु 1. 1949*.2pr. आकारज्ञस्ततो भ्रातुः 1. App. 99.3 pr. आकारमभिरक्षन्ती 4. 15. 140. आकारय मुनीशीघ्रं 3. App. 25. 108 pr. आकारवन्तः सुश्लक्ष्णाः 3.54.6deg. आकारश्वात्मनो रक्ष्यः 1. App. 81. 154 pr. आकारं गुरुपत्न्यास्तु 13. 41. 11. आकारं गृहमानस्तु 1. App. 114. 20 pr. आकारं गृहमाना च 1.68.22". आकारं चात्मसंभवम् 5. App. 1. 8 post. आकारं छाद्य बुद्धिमान् 12. 203*.7post. आकार रक्षमाणस्तु2.43.86. आकारितः शंसति तथ्यमेव 5. 33.90%. आकारितुं तु तान्सर्वान् 3. App. 25. 109A 1 pr. आकारेण च रूपेण 1. App. 48. 89 pr. आकारेणैव तं ज्ञात्वा 1. 150. 20. आकारेणैव तं मनं 1. App. 81. 198 pr. आकारेणैव भीमं सः 4. 315*. 3 pr. आकारो हीङ्गितश्चैव 12. 31*. 3 pr. आकालिकं पुष्पफलं 2. App. 27. 1 pr. आकाश इव निःसङ्ग: 13. App. 11.415 pr. आकाश इव भूतानि 3.31.23". आकाशकल्पं विमलं 12. App. 18. 44 pr. आकाशग इवाकाशे 6. 46. 43. आकाशगङ्गामाप्लुत्य 1. App. 100. 37 pr. आकाशगङ्गा राजेन्द्र 18. 3. 266. आकाशगङ्गां प्रयताः 3. App. 16.22 pr. आकाशगमनं तथा 13. App. 15.3695 post, आकाशगमने चैव 12. 144.50. आकाशगमिवाध्वगम् 5. 81. 15. आकाशगं त्वां महत्तं 1.57. 13. आकाशचारिणो वीराः 3. 1137*. 1 pr. आकाशजननीस्तथा 12. 69. 41'. आकाशजं शब्दमाहुः 12. 177. 380. आकाशतलगामिनीम् 4. App. 4F.3 post. आकाशनिधिरूपश्च 13. 17. 650. आकाशनीकाशतटां 3. 179. 14. आकाशपरिसर्पिणः 3. 105. 39. आकाशप्रभवः शब्दः 12. 239. 12. आकाशभूतश्चाकाशे 12.228. 23%; App. 27. 30 pr. आकाशमकरोत्प्रभुः 12. 299.54. आकाशमचलोपमम् 12. 176.9. आकाशमधिदेवतम् 13. App. 11. 121 post. आकाशमप्यतिनदन् 12. 300. 11. आकाशमप्यनाकाशं 6. App. 3.96L pr. आकाशमभवत्तदा 8. App. 37.21 post. आकाशमभिदुद्राव 14. 11. 15. आकाशममितद्युतिः 13. App. 3A. 259 post. आकाशमसृजच्चोवं 12. 160. 13. आकाशमास्थाय विमूढसंज्ञाः 3. 152. 20%. भाकाशमिति विख्यातं 12. 175. 13. आकाशमिव संप्राप्य 7.540*.4 pr, आकाशमिव संप्रेक्ष्य 12. App. 17C. 120 pr. आकाशमुत्तमं भूतं 14. 49.549. आकाशमुदरं तथा 12. 175. 174. आकाशशयनो भवेत् 13. App. 14.272 post. आकाशसदृशा ह्येते 12. 175. 30. आकाशसंकाशमसिं गृहीत्वा 8.62. 23. आकाशस्तमुवाचेदं 12. App. 17A. 111 pr. आकाशस्थं तु हस्तस्थं 14. App. 4. 2823 pr. आकाशस्थं पुनः पुनः 12. App. 19. 216 post, आकाशस्था ध्रुवं यत्र 12.276. 420. आकाशस्थानमासाद्य 12. 176. 13. आकाशस्य गुणं शब्दं 12.225. 100. भाकाशस्य गुणः शब्दः 12.247.7M. आकाशस्य गुणो घोषः 14.43.314. आकाशस्य तदा घोषं 12. 225. 14". आकाशस्थ प्रकाशते 12.677*. 1 post.; App. 27. 19 post. आकाशस्याप्यथाकाशं 12. App. 19.220 pr. आकाशस्याप्रमेयत्वात् 12. 177.9. आकाशस्येव विप्रर्षे 12. 254. 10. आकाशं ग्रसतेऽऽत्मना 12. 300. 11'. - 295
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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