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________________ अहं भित्त्वा प्रवेक्ष्यामि ] श्लोकपादसूची [अहं शल्याभिजानामि अहं भित्त्या प्रवेक्ष्यामि 7. 87. 670. अहं भिन्द्यां मनोरथम् 5. 144. 134. अहं भीष्मवधात्सृष्टः 5. App. 13. 43 pr. अहं भूमिजयो नाम 4. 39. 21. अहं भोक्ष्ये महासुरम् 3. 97.4". अहं महातरश्चैव 9.77*. 1 pr. अहं मन्ये कथंचन 1. 194. 100. अहं मन्ये वधादपि 12. 101. 36*. अहं मरिष्यामि न मेऽत्र संशयः 4. 633*. 11. अहं महाकुले जाता 5. 132. 14". अहं महाबलो नागः 13. App. 14. 477 pr. अहं मानकृतः सदा 13. App. 1A. 170 post. अहं मायामयं बलम् 3. 168. 22". अहं मूर्धा प्रणम्य च 13. App. 3A. 148 post. अहं मृत्युश्च भविता 2. App. 28. 209 pr. अहं मृत्युः सुयोधन 5. App. 13. 22 post. अहं मोक्ष्यामि सायकान् 14. 30.6". अहं यज्ञहरस्तुभ्यं 12. App. 28. 398 pr. अहं यदुक्तः परुषं तु किंचित् 5.61. 12. अहं यद्यस्मि ते प्रियः 3. 284. 24. अहं ययातिर्नहुषस्य पुत्रः 1. 84. 1". अहं यास्ये युधिष्ठिरम् 6. 108. 354. अहं योत्स्यामि कौरव्यैः 4. 677*. 1 pr. अहं योत्स्यामि मिषतः 6.41.91". अहं योत्स्ये धनंजयम् 4. App. 41. 4 post. अहं रणे वृषसेनं तमुग्रं 8. App. 35. 6. अहं राजा च विप्रेन्द्र 13. 10. 51deg. अहं राजानमन्विष्ये 15. 22.7. अहं राजाभवं विप्र 13. 12. 31". अहं राज्ञः करिष्यामि 7. 87. 69. अहं राज्येऽभ्यषेचयम् 5. 169. 18. अहं राष्ट्रे नृपाणां हि 2. App. 21. 697A 1 pr. अहं रूपेण संपन्नः 4. 442*. 1 pr. अहं लक्ष्मीरहं भूतिः 12. 221. 21". अहं वक्ता च मनस्य 13. 85. 29*. अहं वक्ष्यामि तच्छृणु 12. 215. 24". अहं वक्ष्याम्यनुत्तमम् 13. 114. 3. अहं वत्स्यामि राजेन्द्र 4,94*. 1 pr. अहं वनं गमिष्यामि 9. 30. 47". 15. 6. 8. अहं बने दुर्वसतीः 3. 203*.3pr. अहं वस्तथ्यमेव तत् 5. 158. 31deg3; App. 11. 49 post. अहं वहिप्ये पाञ्चालीं 3. 141. 16. अहं वः पाण्डुपुत्रेभ्यः 8. 52. 17*. अहं वाचोऽस्य संनिधौ 8. 23. 530%; App. 5. 57 post. अहं वाच्यं द्विजानां यत् 12. 617*. 1 pr. अहं वा निहतः शेष्ये 6. 105. 26deg. अहं वापि न कस्यचित् 12.788*. 1 post. अहं वा पृथिवीपते 5. 153.34. अहं वा प्राणिनः शिशोः 13. 1. 434. अहं वायुः प्रभावं ते 12. 151. 6deg. अहं वा स्नेहकारणैः 12. 6.7. अहं विचित्रवीर्याय 13. 44. 376. अहं विजानामि यथावदद्य 8.29.2. अहं विन्दामि कश्मलम् 7. 102. 39'. अहं वियुक्तः स्वैर्भाग्यैः 9. 2. 420. अहं विशिष्टः सर्वेषां 2.58. 27. अहं विष्णुरहं ब्रह्मा 3. 187.5". 12. App. 24. 26 pr. 14. 53. 14". अहं वीर सुदुर्बलः 3. 212. 84. अहं वीर्य च पाण्डवे 8.27.56. अहं वृत्रं बलं पाकं 12.99. 480. अहं वृद्धिश्चिरं राजन् 4. 1144*. 57 pr. अहं वेनि न चापरे 1. 741*. 1 post. अहं वेद्मि शुको वेत्ति 1. App. 1. 39A 16 pr. अहं वेद्यः कथंचन 13. App. 3A. 249 post. अहं वैकर्तनः कर्णः 5. 62.4". 7. 52. 15. अहं वै कामधुक्तुभ्यं 14. 21. 10deg. अहं वै कुरुभिर्योत्स्यामि 4. 36. 44deg; 40. 4. अहं वै ज्ञानचक्षुषा 13. App. 3A. 462 post. अहं वै त्वा निधास्यामि 12. 218. 200. अहं वै त्वां प्रब्रवीमि 3. 275. 28. अहं वै धार्तराष्ट्राणां 5, 144. 11. . अहं वैनं गदया पोथयिध्ये 8. 66. 15. अहं वै पाण्डुनन्दन 13. 18. 3. अहं वैवस्वतक्षयम् 2. 68. 44d; App. 38. 84 post. अहं वै विपुले जातः 13. 104. 170. अहं वै विस्मयं विप्र 3.81. 1056. अहं वै श्येनमायान्तं 1. 222.56. अहं वैश्रवणो राजा 3. 187.5deg. अहं वैश्वानरो भूत्वा 6. 37. 14". अहं वो रक्षितेत्युक्त्वा 13.60. 20%. अहं व्याधस्तु भद्रं ते 3. 198. 12deg. अहं शक्रस्य सारथ्ये 8. 25. 10. अहं शब्दो ह्यहं भावे 12. App. 19. 200 pr. अहं शरणमापन्नः 4. App. 4C. 22 pr.; App. 4E. 24 pr. अहं शल्याभिजानामि 8. 27. 25deg. -287
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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