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________________ अग्नी रुद्रश्च सोमश्च ] महाभारतस्थ [अग्र आसीद्विशां पते अग्नी रुद्रश्च सोमश्च 8. 985*. 1 pr. अग्नी रूपं पयः स्रोतः 14. 42. 50. अग्नीषोमकृतैरेभिः 12. 330. 2. अग्नीषोमं वैश्वदेवं 13. 100.. अग्नीषोमात्मकं चैव 13. 84. 80. अग्नीषोमात्मकमिदं 13. 389*.2l pr. अग्नीषोमात्मकं तस्मात् 12. 3:38.". अग्नीषोमा दिसृष्टौ तु 13. 452*. I pr. अग्नीषोमाताराणां 12. App. 17B. 50 pr. अग्नीषोमाविदं सर्व 12. आ.33". अग्नीषोमावुभौ तथा 3. 211.15. अग्नीषोमौ कथं पूर्व 12. 329.1". अग्नीधामौ जगत्कृत्स्नं 8. 24. 4. अग्नीषोमौ तयेन्द्राग्नी 2. 7. 19". अग्नीषोमौ तु चन्द्राको 12. 16. 18. अन्नीषोमौ शरमुखे 8. App. 2. 105 pr. अग्नीपोमो हि तच्छुकं 13. 62. 40. अग्नोंश्च ब्राह्मणांश्चात् 12. 227. 903; 232.80. अग्नाश्च विधिवजुवन् 1. 81.12. अग्नोस्तु याजकास्तत्र 15. 45. 15. अग्ने त्वमेव ज्वलनः 1. 220. 200. अग्ने पृष्ट ऋतेन वै 1. 5. 18. अग्ने मा त्वं प्रवर्धिष्टाः 1. 20.7. अग्नेरथ वचः श्रुत्वा 1. 6.1". अग्नेरपत्यमेतद्वै 3. 85.54. अग्नेरपत्यं प्रथमं सुवर्ण 3. Ap. 21A. 270. अग्नेरपि च काञ्चनम् 13. 85. म. अग्नेरस्त्रमुपादाय 1. 1336*. 1 pr. अग्नेर्वचनमाज्ञाय 1. 225.24. अग्नेयायुसहायस्य 6.82.20. 7. 113.254. अग्नेवायोस्तथाश्मनाम् 3. 168. 124. अग्नेश्चात्रैव संवादः 3. 130. 11. अग्नेस्तु वृषलो नेता 13. App. 14. 326 pr. अग्नेबैलोक्यपूजितम् 12. App. 29E. 428 post. अग्नेः पुत्रः कुमारस्तु 1. 60.2:26. अग्नेः पुरे नरः स्नात्वा 13.26.41. अग्नेः प्रज्वलितस्येव 5.50.31. अग्नेः संशमनोपाय 13. App. 1A. 364 pr. अग्नेः सूर्यस्य चैव हि 13. App. 1.25A 3 post. अग्नेः सोमस्य चाप्त 12.328. 43". अग्नी चम हितं यथा 5.34 21. अनी जुहोमि भगवन् 10.7.5E. अनी निपतितं च तत् 13.81. 11d. अग्नी पाणिगृहीतां च 3.71. 130. अग्नौ प्रक्षिप्यतामेयः 13. 1. 136. अग्नौ प्रशिघ युरुवं 12. 309.73. अनौ प्रातितं पुरा 9. 13.6. अग्नौ प्राणाश्च संसक्ताः 13. App. 15. 12709. अग्नौ प्राप्तं प्रधूयेत 13.27.4". अग्नौ प्रास्तं तु पुरुष 5. 40. 16. अग्नौ प्रास्ताहु तब्रह्मान 12.255. 11". अग्नी प्रास्यन्ति विधिवत् 1. App. 52. + pr. अग्नौ वाक्यं समाधाय 3. 1239*. 2 pr. अग्नौ वाससि सूयें च 12.73. 23. अग्न्यगारे तथा तीरे 12. 497 . 1 pr. अग्न्यनिलाविन्द्रबृहस्पती वा 8.881.3. अश्यभावे च कुर्वन्ति 13.85.5. अझ्यभावे तु कुर्वन्ति 13. App. 15.3246 pr. अग्न्यर्कसदृशद्युतिः 13. 40.24. अश्यर्कसह दिव्ये 1. App. 111.22 pr. अन्यकी शुनिभैः शरैः 7. App. 15. Dpost. अग्यकोपमवर्चसम् 3. 17. 25. अग्यागारं प्रति द्वारि 3. 138.7. अश्यागरिश्च बहुभिः 1. 64. 17. अझ्याधानेन यज्ञेन 1. APP. 81.30 pr. अन्याधेयस्य दक्षिणाम् 12. 159.21. अध्याधेयं तु ये नाथ 14. App. 4. 2637 pr, अग्न्याधेयानि गुर्वान् 12. 18.35 अस्वाधेये यद्भवति 12.260. 37. अग्र आसीद्विशां पते 6. 101 अनेराकाशचारिणास् 1.221.20. अनेरावेदयशापं 1. 1. 15. अग्नेराबनीयाच्च 13. App. i. is pr. अग्नेरिन्द्रस्य सोमस्य 4.917*.9pr; App.DI. 12 pr. अग्नेरिव महाकक्षे 7. 164.4. अग्नेरिव शिखा शुभा 3. 94224. अग्नेरिव शिखां दीप्तां 7. 1339*.2 pr. अग्नेरीशस्य सोमस्य 4.51.11. अग्नेर्जागर्ति वरुणः 12. 122. 13. अग्नेर्दर्शनलालसान 13.81.2.. अग्नेkधर्षता तेजः 12.217.. अग्नेभाग शुभं विद्धि 15. 39. 14. अभूमेरपां वायोः 12.310.11"; 320.33. अग्नेमूर्तिः क्षितेयोनिः 14. App. E. 867 pr. -20 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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