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________________ अर्थार्थ सेवते नरः] श्लोकपादसूची [अर्दयामास तां सेना अर्थार्थ सेवते नरः 12. 284.8. अर्थार्थं हि यदा मृत्यः 4. 120*. 10 pr. अार्थिनः सन्ति कचित् 12. 161. 11. अर्थार्थिनः सन्ति नित्यं 12. 424*. 1 pr. अर्थार्थी चार्थमाप्नुयात् 13. 135. 121. अर्थार्थी जीवलोकोऽयं 12. 136. 145". अर्थार्थी त्वरितो द्रष्टुं I. App. 95.63A 2 pr. अर्थार्थी पुरुषो राजन् 3. 34. 31". अर्थार्थी यदि वा वैरी 13..112. 86. अर्थाश्च नार्यश्च समानमेतत् 13. App. TA. 253. अर्थाश्च व्यसनानि च 4. 387*. 1 post. अर्थाश्चानर्थरूपिणः 2. 72. 10%. अर्थाश्रयाहा कामाद्वा 13.48. 1". अर्थास्थितो न तिष्ठेच 12. App. 19. 195 pr. अर्था ह्येवाधिगम्यन्ते 12. 108. 15 अथांश्च दुर्लभालोके 12. 27. 436. अर्थांश्च ये महतश्चिन्तयन्ति 5. 30. 264. अर्थांश्चाकर्मणा प्रेप्सुः 5. 33. 30%. अर्थाश्चानर्थरूपतः 12. 105. 3rd. अाश्चिन्तयतश्चापि 10. 4. 21. अर्थास्तथास्यन्तदुखावहांश्च 12. App. 18. 100. अर्थीम्तथात्यन्तसुखावहांश्च 12, 211. 45". अास्त्यजत पात्रेभ्यः 5.58. 20". अर्थाः खलु समृद्धा हि 12.268.54. अर्थाः प्रत्यवसीदन्ति 12. 108.25%, अर्थाः समतिवर्तन्ते 5 36. 386. अर्थाः संशयकारकाः 12.50.35. अर्थाः सिध्यन्ति कौरव्य 4. 121*. 1 pr. अर्थाः स्त्रियश्च निपुणैरपि सेव्यमानाः 1. 188*. 3. अर्थित्वात्प्रब्रवीम्यहम् 13. App. 15. 12 post. अर्थिनश्च भवन्त्यर्थे 13. 24.51. अर्थिनश्चोपगच्छन्ति 13.24.50% 14. App. 4. 2081 pr. अर्थिनः किंचिदिच्छन्ति 13.24.58. अर्थिनः केचिदिच्छन्ति 14. App. 4. 2083 pr. अर्थिनां पक्षिसंघस्य 8. 1190*.2 pr. अर्थिनां परमं लोकं 12. 911*.2 pr. अर्थिनां ये च वक्ष्यन्ति 14. App. 4. 2128 pr. अर्थिनी प्रब्रवीम्येषा 4. 403*. 3 pr. अर्थिनो दूरमागतान् 2. 225*. 1 post. अर्थिनो भोक्तुमिच्छन्ति 13. 24. 52. अर्थिप्रत्यर्थिनः प्राप्तान 2. 5. 81. अर्थिभ्यः कामदो विभुः 9. 190*. 2 post. अर्थिभ्यः कालतस्तस्मात् 3. *. 1 pr. अर्थिभ्यो दीयतां सर्व 13. 94. 20deg. अर्थे च कृतनिश्चयाः 1. App. 82. 17 post. अर्थे चव पराङ्मुखम् 5. 187*. 1 post. अर्थे तु शक्यते भोक्तुं 12. 138. 20. अर्थ दो मनुष्याणां 12. 203*.2 pr. अर्थे दी वीर्यमस्योपहन्यात् 12. 120. 386. अर्थेन च निबध्यते 12. 203*. 1 post. अर्थेन तु महाबाहुं 5. 85. 10". अर्थेन तु समोऽनर्थः 3. 34. 64". अर्थेन हि विहीनस्य 12. 8. 180. अर्थे निविशमानस्य 7.62. 10. अर्थेप्सुता परं दुःखम् 1. 145. 24. अर्थेभ्यः परमं मनः 12.238.33 210.2. अर्थेभ्यो व्यपकर्षतः 5. 127. 23deg. अर्थेभ्यो हि विवृद्धेभ्यः 12. 8. 164. अर्थे यत्स्थातुमिच्छसि 18. 3. 336. अर्थे योत्स्यामि ते सुतैः 5. 144, 18. अर्थ वानरपुंगवः 3. 266. 11. अर्थे वा यदि वा धर्मे 5. 178. 294. अर्थेषु भागी पुरुषः 12. 105. 4". अर्थेषु युवतिष्यथ 12. 162. 22". अर्थ सर्व जगद्वन्द्वम् 12. 203*. 1 pr. अर्थ संशयिते क्वचित् 12. 221.69%. अर्थे स्थितिर्हि शब्दस्य 12. App. 19. 190 pr. अर्थेऽहं धर्मचारिणी 4. 15. 35. अर्थे हि महती तृष्णा 3.245.27. अर्थरर्था निबध्यन्ते 12.8.200; 136. 104. अथैविहीनः पुरुषः 3. App. 21. 20. अर्थो जातोऽयमन्यथा 3. 231. 15. अर्थोदयसमावाप्तौ 13. App. 15. 1452 pr. अर्थो द्रव्यपरिग्रहः 3. 34. 35. अर्थो धर्मश्च कामश्च 2. 1. 17deg3; 11. 18; 101*. 1 pr. अर्थोऽनर्थो महाकोशः 13. 135,596. अर्थो मे बन्दिना नृप 3. 134. 30deg. अर्थो वा मित्रवर्गो वा 13. 6. 154. अर्थोऽहमर्थशक्तिस्त्वं 12. App. 24. 24 pr. अों द्वावपि निष्पन्नौ 1. 150. 20%. अयं तथ्यं हितं वाक्यं 2. 2.5M. अयं बचोऽस्यापनुदास्य शोकम् 12. 51. 184. अर्दयन्तः शितैः शरैः 6. 42. 19. अर्दयन्तु च दुःखानि 12. App. 17B. 117 pr. अर्दयन्निशितैः शरैः 7. 40. 13. अर्दयामास तां सेनां 9. 10. 13. -215 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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