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________________ अर्थश्च तव धर्मश्च ] महाभारतस्थ [अर्थार्थ विभजेदनम् अर्थश्च तव धर्मश्च 1. 146. 69. अर्थश्च सुमहान्प्राप्तः 14. 14.8". अर्थश्चात्यर्थलुब्धस्य 9.59. 17. अर्थश्चैव सनातनः 4. 107*. 1 post. अर्थश्रेयसि चासक्तः 3. 2. 40. अर्थसंचय इष्यते 12. 88. 294. अर्थसंततिकामश्च 5. 236*. 1 pr.; App. 1.7 pr. अर्थसंरक्षणाय च 12. 15. 10. अर्थसिद्धिकरं राज्ञः 5.5.1. अर्थसिद्धिकरांस्तथा 4. 125*.2 post. अर्थसिद्धिजयाशिषः 12.72.54. अर्थसिद्धिमनथं च 12. 217. 136. अर्थसिद्धिर्जयाजयो 4. 19. 3. अर्थसिद्धिं तव रणे 5. 162. 24. अर्थसिद्धिं वनपगां 2. 19. 11". अर्थसिद्धिं परामिच्छन् 5. 37. 44*. अर्थसिद्धिः प्रदृश्यते 12. 91.. अर्थसिद्धेः परं धर्म 12. 93.. अर्थसिद्धया हि निर्वृत्तौ 12. 161. 13. अर्थस्य दशभाग्दाता 13. 359*. 1 pr. अर्थस्य पुरुषो दासः 6. 41. 360, 51", 66",770. अर्थस्य रक्षणार्थाय 12. 110. 18. अर्थस्य विघ्नं कुर्वाणाः 12. 138. 47. अर्थस्थावयवावेतौ 12. 161. 136. अर्थस्याह बृहस्पतिः 12.69.23. अर्थस्योपार्जने दुःखं 3. 2. 420. अर्थहानिर्विवित्सा च 5. App.2.29 pr. अर्थहेतोर्नरश्रेष्ठ 6.92.. अर्थहेतोर्यमीश्वरम् 10. 9. 17. अर्थहेतोर्हताः क्रूरैः 12. 268. 1. अर्थहेतोहि कामावा 12. 82. 15". अर्थहेतोस्तथैवान्ये 2. 12. 385. अर्थ कामं सुखं चैव 1. 110. 381. अर्थ चैव फलान्युत 13. App. 15. 1455 post. अर्थ चैवाप्यनर्थतः 5. 34. 50. अर्थ तस्य स विन्दति 12. 293. 264. अर्थ प्राप्नोति पूरुषः 3. 33. 14. अर्थं महान्तमासाद्य 5. 33. 39". अर्थ याचात्र राजानम् 5. 112.5. अर्थ वानर्थमात्मनः 5.93. 60. अर्थ व्याजेन रोचते 3. 201.6. अर्थ श्रेयांसमिच्छता 3. 34. 63. अर्थ सङ्गविवर्जनात् 12. 266.9. अर्थः कोऽथार्थशक्तिः का 12. App. 24. 22 pr. अर्थः स्यादर्थलुब्धस्य 1. App. 81. 142 pr. अर्थागमो नित्यमरोगिता च 5. 184*. 1. अर्थाच्च तात धर्माच्च 5. 48. 25. अर्थाच्चेति व्यवस्थितः 1.94.44. अर्थायितरत्वं च 13.73*. 19 pr. अर्थादाने महान्दोषः 5. 39. 10. अर्था दुःखं परित्यक्तुं 3. 2. 43". अर्थाहतेऽपि ते देवि 13. App. 15. 1691 pr. अर्थादेतानि सर्वाणि 12.8.21. अर्थाद्धर्मश्च कामश्च 12. 8. 174. अर्थाद्वा मित्रलाभावा 12. 449*. 40pr. अर्थानभिजिगीषते 12.223. 11'. अर्थानों समौ यस्य 5. 39. 46. अर्थानों सुखं दुःखं 12. 28. 189; 121. 21. अर्थानामननुष्ठाता 12. 93. 10. अर्थानामर्जने दुःखं 13. App. 15. 3971 pr. अर्थानामीश्वरो यः स्यात् 5.34. 61". अर्थानामुपधारणे 1. App. 81. 40 post. अर्थानां चैव सर्वेषां 12. 136. 125%. अर्थानां तु पुनधे 4.42.74. अर्थानिष्टान्कामयते स्वभावः 14. 28. 26. अर्थानुत्सृज्य दिग्वासाः 14.5.6. अर्थान्काऋतु कीनाशात् 13. 95. 58. अर्थान्न मिथ्या पश्यन्ति 2.5.95. अर्थान्न शोचन्प्राप्नोति 11. 1. 31". अर्थान्यान्न चासत्सु 12.11.6". अर्थाधिनाशयन्त्येव 13. App. 15.4615pr. अर्थान्समनुतिष्ठन्ति 2. 5.5. अर्थान्समीक्ष्यारभते 12. 93. 11. अर्थान्सुमहतोऽप्यहम् 12. 107. 11. अर्थापत्तिस्तथैतिचं 12. 31*.2pr. अर्थापनयदूषिताम् 12. 112. 16". अर्थायैव हि केषांचित् 12. 105. 38. अर्थार्थकररोमशः 13. 17.68. अर्थार्थमथ वा स्नेहात् 14. App. 4. 2102 pr. अर्थार्थमनुसार्यन्ते 12. 316. 36. अर्थार्थमन्यद्भवति 12. 128. 360; 285*. 1 pr. अर्थार्थमभिगच्छन्ति 13. 24.54. अर्थार्थ कामहेतुना 12. 50.58. अर्थार्थ परिगृह्णीयात् 12.72.6. अर्थार्थ भूडचेतसौ 1. 25. 18t. अर्थार्थ विभजेद्धनम् 13. App. 15. 1453 post. -- 214 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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