SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 213
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अरौत्सीत्पार्थिवं क्षत्रं ] श्लोकपादसूची [अर्चयामः सदा विष्णो अरौत्सीत्पार्थिवं क्षत्रं 8. 5. 22deg. अरौद्रः कुण्डली चक्री 13. 135. 1100. अरौ वर्तेत नृपतिः 12. 104. 1. अर्क इत्यभिविख्यातः 1.556*. 2 pr. अर्कजश्च बलीहानां 5.7.2. 14. अर्कज्वलनतेजोभिः 3. 170. 490. अर्कज्वलनमूर्धजम् 3. 170. 394. अर्कज्वलनसंनिभैः 7.56. 34%. अर्कतुल्यप्रतापवान् 6. App. 4. 64 post. अर्कतुल्यं मनोजवम् 13. App. 10. 380 post, अर्कदत्तो महानृषिः 13. App. 7.57 pr. अर्कपुष्पाणि मेध्यानि 13. App. 15. 4390 pr. अर्कपुष्पाणि वज्यानि 14. App. 4. 1648 pr. अर्कपुष्पैस्तु ते पञ्च 3. 220. 14". अर्कप्रकाशा प्राजिष्णुः 2. 8. 30. अर्कप्रमाणौ तौ वृक्षौ 2. 367*. 1 pr. भर्कमर्कमिवापरन् 12. 221. 11'. अर्करश्मिप्रभिन्नेकु 7. 70. 200. अर्कवत्तमसः परम् 12. 209. 16. अकंवत्स महामतिः 12. App. 18.72 post. अर्कवत्संप्रकाशते 12.208. 230. अर्कवैश्वानरप्रख्यं 8. 407*. 1 pr. अर्कवैश्वानरप्रभाम् 7. 108. 23. अर्कस्फटिकशुत्राणि 5. 98. 10. अर्कस्य तेजसा तुल्यं 12. 659*. 1 pr. अर्क च सहसा दीप्तं 5. 183. 22. अर्क राहुस्तथाप्रसत् 6. 3. 11". अर्क विभावसुं देवाः 13. App. 14. 288A 10 pr. अर्केणेव विराजता 7. 12. 22. अर्कोऽधिपतिरुष्णानां 14. 43. T". अर्को वाजसनः शृङ्गी 13. 135.986. अर्घादि भोजनं वरम् 5. 112. 10. अर्घापकरणं चैव 13. App. 15. 1898 pr. अर्धाहन्नि च सत्कारैः 13. 133. 196. अर्धास्तेभ्यो भविष्यन्ति 3. App. 29. 3 pr. अर्धे विषदमानं च 7. 10. 13. अर्घ्यपूर्वेण विधिना 12. 316.2. अय॑मभ्याहरस्तस्मै 1. 89.37. अर्घ्यमाचमनीयं वा 13. 133. 19". अर्घ्यमानीयतामिति 2. 33. 25. अय॑माल्योपहारैश्च 1. 160. 13. अर्ध्यवस्त्रवसुप्रदः 13.75. 15. अयं गां च न्यवेदयत् 12. 313. 5. अध्य गां च विधानतः 1.54. 139. अध्यं चैवासनं चास्मै 7.58. 32. अध्यं ततः समानीय 12. 126. 24". अयं पाद्यमथानीय 3. 376*. 1 pr. अध्यं पायं च दत्वा सः 12. 192. 33*. अध्यं पाद्यं च न्याय्येन 12.258. 45. अध्यं प्रदाय विधिवत् 13. App. 14B. 13 pr. अहिश्च सदा भवेत् 13. 516*. 2 post. अध्याहानियुमिहत्वा 12. 55. 136. अाहश्चिाभिवाद्याश्च 4. 1144*. 23 pr. अाही नार्चयसि मां 1.68.33%. अर्येण च स वै तेन 3. 1008*. 1 pr. अयेणार्चितवानसि 2. 34. 144. अर्चनं च यथान्यायं 14. App. 4. 3096 pr. अर्चनं यजनं स्तुतिः 13. App. 17. 4 post. अर्चनाक्रममात्मनः 14. App. 4. 1654 post. अर्चनाभिर्नमस्कारैः 13. App. 15. 4387 pr. अर्चनायां फलं मम 14. App. 4. 3064 post. अर्चनां काञ्चनेन वा 14. App. 4. 3273 post. अर्चनीयं सुलोचितम् 13. 126. 13. अर्चनीयः सुपूजितः 1. 138. 254. अर्चनीया युधिष्ठिर 14. App. 4. 3269 post. अर्चनीयाः सदा मम 12. 30. 38. अर्चनीयो जनार्दनः 2. 35. 94.. अर्चनीयो हमीशोऽहं 13. App. 15. 4340 pr. अर्चन्त्यषिगणार्चितन् 3. App. 1. 9 post. अर्चयध्वं सदा लिङ्गं 13. 14. 102. अर्चयन्ति च ये होकाः 13. 677*. 1 pr. अर्चयन्ति महाप्राज्ञ 3. G07*.2r. अर्चयन्ति यथाविधि 13. 133. 19. अर्चयन्ति यथाशक्त्या 13. App. 14. 221A 64 pr. अर्चयन्ति वरारोहे 13. App. 15. 780 pr. अर्चयन्ति सुरश्रेष्ठं 12. 328. 27. अर्चयन्तु यथान्यायं 13. App. 16.72 pr. अर्चयन्त्यमणिः 12. App. 28. 168 post. अर्चवन्नतिथिप्रियः 12. 313. 18d. अर्चयचतिथीकाले 14. 46. 11". अर्चयजुपतिष्ठति 13. 133. 264. अर्चयन्नेव मां नित्यं 14. App. 4. 2878 pr., 2970 pr. अर्चयन्सुसमाहितः 14. App. 4. 2860 post. अर्चयस्व यथाकामं 5. 192. 16. अर्चयाम सदा विष्णो 6.61.5. -205 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy